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Indo-Pacific Ocean:हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कुछ ऐसा करेंगे भारत और अमेरिका, चीन को लगी मिर्ची

Indo-Pacific Ocean: हिंद और प्रशांत महासागर के क्षेत्र में भारत अपना विस्तार करना चाहता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर कई बार यह बात कह चुके हैं कि अपनी समुद्री सीमा को विस्तार करना भारत की जरूरत है और उसका हक भी। इस दिशा में अब अमेरिका ने भी भारत के इस रुख का समर्थन किया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Sep 23, 2022 19:10 IST, Updated : Sep 23, 2022 19:10 IST
Indo-America
Image Source : INDIA TV Indo-America

Highlights

  • स्वतंत्र एवं मुक्त हिंद प्रशांत में अमेरिकी दृष्टिकोण में भारत केंद्रीय भूमिका में
  • अमेरिका और भारत के बीच होनी है कई महत्वपूर्ण साझेदारी
  • भारत करना चाहता है अपनी समुद्री सीमा का विस्तार

Indo-Pacific Ocean: हिंद और प्रशांत महासागर के क्षेत्र में भारत अपना विस्तार करना चाहता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर कई बार यह बात कह चुके हैं कि अपनी समुद्री सीमा को विस्तार करना भारत की जरूरत है और उसका हक भी। इस दिशा में अब अमेरिका ने भी भारत के इस रुख का समर्थन किया है। क्योंकि इसमें अमेरिका का हित भी छुपा हुआ है। मगर चीन को भारत के इस मिशन में अमेरिकी सहयोग के ऐलान से मिर्ची लग गई है।

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्वतंत्र एवं मुक्त हिंद प्रशांत के बारे में अमेरिकी दृष्टिकोण में भारत केंद्रीय भूमिका में है। अधिकारियों ने यह रेखांकित किया कि वे अब “लंबे खेल” पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जिसमें भविष्य में साझेदारी का निर्माण किया जा रहा है और क्षेत्र में चीन के आक्रामक कदमों के बीच हिंद-प्रशांत में “शक्ति के अनुकूल संतुलन” को आकार देने की भारत की क्षमता का समर्थन किया जा रहा है। हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों के लिये सहायक रक्षा मंत्री डॉ. एली एस रैटनर ने कहा कि अमेरिका भारत के सैन्य आधुनिकीकरण का समर्थन कर रहा है। रैटनर ने संवाददाताओं के एक समूह से बृहस्पतिवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “हम भारत-अमेरिका साझेदारी को स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत के हमारे दृष्टिकोण के केंद्र के रूप में देखते हैं। रास्ते में हालांकि बाधाएं आ सकती हैं लेकिन हम वास्तव में लंबे खेल पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो भविष्य में हमारी साझेदारी का निर्माण कर रहा है और हिंद-प्रशांत में शक्ति के अनुकूल संतुलन को आकार देने की भारत की क्षमता का समर्थन कर रहा है।

अमेरिका और भारत के बीच होनी है कई महत्वपूर्ण साझेदारी

उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर का सोमवार को पेंटागन में रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से मिलने का कार्यक्रम है। यह मुलाकात हाल में टेलीफोन पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की ऑस्टिन के साथ हुई लंबी बातचीत के बाद हो रही है। रैटनर ने कहा, “इन कई संबंधों के मद्देनजर यह वास्‍तव में स्‍पष्‍ट हो गया है कि आज अमेरिका और भारत के बीच के संबंध हमारे इतिहास की तुलना में कहीं अधिक निकटता से जुड़े हुए हैं। हम यह देख रहे हैं कि क्षेत्र के लिए हमारे सामरिक हितों और साझा दृष्टिकोण का सम्मिलन हो रहा है और विशेषतौर पर पिछले कुछ वर्षों में हमने कई बड़े कदम उठाये हैं जो हमारे चार आधारभूत समझौतों पर निर्मित हैं।” अमेरिका, भारत और कई अन्य विश्व शक्तियां क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, मुक्त और संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में बात कर रही हैं।

पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है ड्रैगन
चीन लगभग समूचे विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम आदि इसने कुछ हिस्सों पर अपने अपने दावे करते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं। रैटनर ने कहा कि अमेरिका भारत के सैन्य आधुनिकीकरण का समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा, “यह दृष्टि रक्षा साझेदारी के लिए हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं को इंगित करती है। पहली प्राथमिकता भारत की सैन्य क्षमता और इसकी निवारक क्षमता को बढ़ाने और रक्षा औद्योगिक शक्ति के रूप में इसके उभरने का समर्थन करने के लिए विभाग की प्रतिबद्धता है।” उन्होंने कहा कि व्यावहारिक रूप से, इसका मतलब है कि अमेरिका सह-उत्पादन और सह-विकास क्षमताओं पर भारत के साथ मिलकर काम करने जा रहा है जो भारत के अपने रक्षा आधुनिकीकरण के लक्ष्यों के साथ ही दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशिया सहित पूरे क्षेत्र में अपने भागीदारों को किफायती कीमत पर निर्यात करने की क्षमता के लक्ष्यों का समर्थन करेगा। यह कुछ ऐसा है जिसके बारे में दोनों देशों के अधिकारियों ने अपनी हाल की बैठकों के दौरान बात की है।

अमेरिका और भारत महत्वपूर्ण युद्धक्षेत्रों में करेंगे काम
उन्होंने कहा कि रक्षा विभाग भारत के साथ प्रमुख क्षमताओं का सह-उत्पादन करने के लिए निकट और मध्यम अवधि के अवसरों पर पैनी नजर रख रहा है। उन्होंने कहा कि वे उस संबंध में अपनी प्राथमिकताओं के बारे में उच्चतम स्तर पर भारत सरकार के साथ अच्छी बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम जल्द ही इस मोर्चे पर और घोषणाओं की उम्मीद कर रहे हैं।” अमेरिका और भारत महत्वपूर्ण युद्धक्षेत्रों में अपने प्रतिस्पर्धियों का मुकाबला करने और उनसे आगे निकलने की दिशा में अपने संचालनात्मक सहयोग और समन्वय को गहरा करने का प्रयास कर रहे हैं।

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