वाशिंगटन: भारत अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में लगा हुआ है। सेना को आधुनिक बनाने के मकसद से भारत हर वो कदम उठा रहा है जिससे देश की सीमाओं को महफूज रखा जा सके। भारत की सीमाएं चीन और पाकिस्तान से लगती हैं। दोनों पड़ोसी देशों के मंसूबों से भारत अनजान भी नहीं है। भारत की ओर से इस दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं कि सेना को अत्याधुनिक उपकरण मुहैया करवाए जाएं। भारत के इन प्रयासों का अब असर भी दिखने लगा है और इसका अंदाजा अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के बयान से लगाया जा सकता है।
भारत-अमेरिका की जुगलबंदी
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने सांसदों से कहा कि भारतीय वायु सेना के लिए मिलकर लड़ाकू विमानों के इंजन बनाने के वास्ते भारत और अमेरिका के बीच हुआ समझौता क्रांतिकारी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल जून में अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर गए थे और उसी दौरान इस ऐतिहासिक समझौते की घोषणा की गई थी। ‘जनरल इलेक्ट्रिक’ ने भारतीय वायुसेना के लिए लड़ाकू विमानों के इंजन बनाने के लिए ‘हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स’ के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
भारत के साथ मजबूत संबंध
ऑस्टिन ने सदन को बताया कि अमेरिका के भारत के साथ 'मजबूत संबंध' हैं। उन्होंने कहा,‘‘ हमने हाल में भारत को विमान के इंजन बनाने में मदद की और यह एक तरह की क्रांति है, इससे उनकी क्षमता बढ़ेगी। हम भारत के साथ मिलकर एक बख्तरबंद वाहन का भी निर्माण कर रहे हैं।’’ रक्षा मंत्री ने कहा,‘‘ तो अगर कुल मिलाकर देखा जाए तो यह सब लंबे वक्त में क्षेत्र में हुए काम से काफी अधिक है ।’’
लॉयड ऑस्टिन ने कही थी यह बात
हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा था कि भारत और अमेरिका की सेनाएं हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त अभ्यास, सूचना-साझा करने और अन्य परिचालन गतिविधियों में तेजी ला रही हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाकर, दोनों देश व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अधिक स्थिर शक्ति संतुलन को बनाए रखने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।
भारत के लिए है क्यों है अहम
देखने वाली बात यह भी है कि, चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से तनावपूर्ण रिश्तों को देखते हुए जेट इंजन की अहमियत और भी अधिक बढ़ जाती है। भारत के पास फिलहाल मिग-29 और मिराज-2000 जैसे पुराने जमाने के लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट हैं। अब जब देश में ही जेट इंजन का निर्माण होगा तो भारत इन पुराने लड़कू विमानों को नए और ताकतवर विमानों से रिप्लेस करने में सक्षम होगा। भारत के लिए यह इसलिए भी और अधिक अहम हो जाता है क्योंकि अमेरिका ने अब तक अपने करीबी सहयोगियों के साथ भी ऐसी तकनीक साझा नहीं की है। (भाषा)
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