अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सूरज की गतिविधियां बढ़ने से भारत द्वारा गत 2 सितंबर को सूर्य के अध्ययन के लिए भेजे गए आदित्य एल-1 मिशन के खतरे में पड़ने की आशंका जाहिर की है। भारत ने सूर्य के ऊपरी वायुमंडलीय (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) गतिशीलता का अध्ययन करने के उद्देश्य से आदित्य एल1 मिशन लॉन्च किया था। आदित्य L1 वर्तमान में अपने गंतव्य एल-1 बिंदु तक पहुंचने के लिए अंतरिक्ष में भ्रमण कर रहा है। मगर नासा ने वर्तमान में सौर गतिवधियां बढ़ने के चलते लक्ष्य पर पहुंचने से पहले ही आदित्य L1 के मुसीबत में पड़ सकने की आशंका जाहिर करके भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (इसरो) को भी चिंतित कर दिया है। NASA का कहना है कि वर्तमान में सौर गतिविधि बहुत बढ़ गई है और उच्च आवृत्ति के साथ सौर तूफान पृथ्वी पर हर तरफ से टकरा रहे हैं।
नासा के अनुसार ये सौर तूफान अंतरिक्ष यान के ऑनबोर्ड इलेक्ट्रॉनिक्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं और पृथ्वी के साथ संचार करने की उनकी क्षमता सहित इसके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से आउटपुट सिग्नल को बदल सकते हैं। हालांकि अंतरिक्ष यान और उपग्रहों को पहले भी ऐसे तूफ़ानों का सामना करना पड़ा है। मगर सूर्य का अध्ययन करने के लिए बनाए भेजे गए आदित्य एल-1 को इन सोलर तूफानों से नुकसान होने की अधिक संभावना है, क्योंकि वे सीधे सूर्य का सामना करते हैं और अन्य वस्तुओं की तुलना में इसके सबसे करीब हैं। नासा ने हाल ही में अपने पार्कर सोलर प्रोब का एक तीव्र कोरोनल मास इंजेक्शन (सीएमई) बादल के माध्यम से उड़ान भरते समय सौर तूफान से टकराने का एक दर्दनाक वीडियो साझा किया है।
नासा का पार्कर सूर्य की सतह से 6.9 मिलियन किलोमीटर दूर कर रहा परिक्रमा
नासा ने एक्स पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, हमारे पार्कर सोलर प्रोब ने पहली बार सूर्य से एक विस्फोट के माध्यम से एक और उड़ान भरी और इसे सौर मंडल के निर्माण से बची हुई अंतरिक्ष धूल को "वैक्यूम अप" करते देखा। नासा ने इसे 2018 में लॉन्च किया था। नासा का पार्कर सोलर प्रोब वर्तमान में सूर्य की सतह से लगभग 6.9 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर उसकी परिक्रमा कर रहा है। इसका उद्देश्य यह अध्ययन करना है कि सूर्य के बाहरी आवरण ने अतीत में सौर तूफानों से सफलतापूर्वक किस तरह खुद को बचाया है। नासा के अनुसार इस वक्त कुछ ऐसे परिवर्तन दिख रहे हैं कि कोरोनल मास इंजेक्शन भी आदित्य एल1 से टकरा सकता है और इसके ऑनबोर्ड इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार सिस्टम में हस्तक्षेप कर सकता है।
इसरो पर भरोसा भी
हालांकि इस सौर्य तूफान के बावजूद नासा को इसरो पर भरोसा कि आदित्य एल1 भी सीएमई से सफलतापूर्वक गुजर सकता है, क्योंकि यह पृथ्वी से केवल 15 लाख किलोमीटर दूर है। जोकि नासा के पार्कर सोलर प्रोब की तुलना में कम है। इसके साथ ही इसरो ने आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को अत्यधिक विकिरण से बचाने के लिए विशेष धातुओं और सामग्रियों से मजबूत किया है। इस प्रकार इसे सीएमई बादलों और किसी भी अन्य अंतरिक्ष-आधारित खतरों से बचाया जा सकता है।
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