Pakistan News: कंगाल पाकिस्तान की हालत खस्ता है। वह अपनी कमजोर इकोनॉमी को दुरुस्त करने के लिए लगातार कर्ज की 'भीख' मांग रहा है। वहीं राजनीतक हालात भी स्थिर नहीं है। कार्यवाहक सरकार बड़े निर्णय लेने में अक्षम है। इसी बीच पाकिस्तान के आर्मी चीफ अमेरिका के दौरे पर पहुंचे, वहां उन्हें अमेरिका ने दो टूक सुना दी है। अमेरिका ने साफ साफ नसीहत देते हुए कहा है कि अपने पड़ोसी देश भारत के साथ करीबियां बढ़ाओ और चीन से दूरी बनाओ। यह निर्देश यहां उन्हें अमेरिकी अधिकारियों ने दिया है।
जानिए अमेरिका ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ को क्या दी नसीहत?
अमेरिका दौरे पर पहुंचे पाक आर्मी चीफ असीम मुनिर को बाइडेन प्रशासन ने कड़ी नसीहत दी है। बाइडेन प्रशासन ने स्पष्ट कह दिया है कि पाकिस्तान अपनी दोस्ती और चीन के साथ पैठ केवल आर्थिक गलियारे तक ही सीमित रखे। यह गलियारा पाकिस्तान के बंदरगाह ग्वादर तक बनाया जा रहा है। अमेरिका ने कहा है कि इस गलियारे तक ही दोस्ती सीमित रखे, चीन को अपने सुरक्षा व्यवस्था तक नहीं पहुंचने दें। साथ ही पाकिस्तान को दो टूक कहा है कि भारत के साथ शांति स्थापित करने की कोशिश जारी रखी जाए। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों ने पाकिस्तान सेना प्रमुख से कहा था कि अगर उनके देश को वित्तीय मदद की जरूरत है तो उन्हें भारत के साथ व्यापार सहित कुछ नियम और शर्तें स्वीकार करनी होंगी।
जानिए चीन के किस कदम से पहले अमेरिका ने पाक को किया आगाह?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका का यह कदम पाकिस्तान में चीनी सुरक्षा चौकियों को रोकने के लिए हैं चीन ने पाकिस्तान में काम करने वाले अपने नागरिकों के लिए बलूचिस्तान के ग्वादर में सैन्य चौकियां बनाने और अपने लड़ाकू विमानों के लिए ग्वादर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उपयोग करने की मांग की है। ऐसे में अमेरिका ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख को साफ साफ लहजे में समझा दिया है।
अमेरिकी राजदूत ने किया था बलूचिस्तान का दौरा
हाल ही में अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम ने बलूचिस्तान का दौरा किया था। सितंबर महीने में यह दौरा किया गया था। 'गुप्त रूप' से यह दौरा ग्वादर बंदरगाह का था, जिसे बनाने में चीन का पैसा लगा है। ऐसे में अमेरिका चीन की हरकतों से भलीभांति वाकिफ है। मालूम हो कि ग्वारदार बंदरगाह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पसंदीदा प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का अहम हिस्सा है। दोनों देशों के बीच असहमति के कारण यह परियोजना गतिरोध पर पहुंच गई है।