चीन में कोरोना वायरस के खिलाफ लगाई गई पाबंदियों के विरोध में जोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं। जिनके कई वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं। चीन की तानाशाह सरकार इन प्रदर्शनों को दबाने के लिए बड़े स्तर पर सेना और पुलिस का सहारा ले रही है। लोगों का मुंह बंद कराने के लिए उनके साथ मारपीट की जा रही है। चीन की क्रूरता को लेकर अब दुनिया के बड़े देशों के साथ-साथ वैश्विक एजेंसियों ने भी बयान देना शुरू कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टलिना जॉर्जीवा ने चीन में व्यापक विरोध प्रदर्शनों के कुछ दिनों बाद कहा है कि समय आ गया है कि वह व्यापक लॉकडाउन की नीति से हटकर कोविड-19 के लिए अधिक लक्षित दृष्टिकोण की ओर बढ़े।
उन्होंने कहा कि नीति में बदलाव की बदौलत तेज महंगाई से जूझ रही वैश्विक अर्थव्यवस्था और बाधित खाद्य आपूर्ति को रास्ते पर लाने की दिशा में सहूलियत होगी। आईएमएफ की प्रबंध निदेशक जॉर्जीवा ने संक्रमण के हर मामले को अलग-थलग करने के लिए चीन के कठोर ‘‘शून्य-कोविड’’ दृष्टिकोण को नए सिरे से तैयार करने का आग्रह किया क्योंकि इससे लोगों और अर्थव्यवस्था, दोनों पर असर पड़ा है। जॉर्जीवा ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ से बातचीत में यह भी आगाह किया कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक ‘फेडरल रिजर्व’ के लिए अपनी ब्याज दरों में वृद्धि से पीछे हटना जल्दबाजी होगी और उम्मीद है कि यूक्रेन में रूस के युद्ध के कारण ऊर्जा संकट यूरोप में नवीकरणीय ऊर्जा में तेजी लाएगा। उन्होंने विकासशील देशों में बढ़ती भुखमरी को ‘‘दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण हल करने योग्य समस्या’’ भी कहा।
कई शहरों में हुए विरोध प्रदर्शन
चीन में, लॉकडाउन के खिलाफ पिछले कुछ दिनों में कई शहरों और हांगकांग में सप्ताहांत में विरोध प्रदर्शन हुए। अधिकारियों ने कोविड से जुड़े कुछ नियमों में ढील दी है, लेकिन अपनी व्यापक रणनीति से पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया है। जॉर्जीवा ने मंगलवार को बर्लिन में कहा, ‘‘बड़े पैमाने पर लॉकडाउन से आगे बढ़ने की जरूरत है। लक्षित दृष्टिकोण के साथ प्रतिबंध होने चाहिए। लक्षिण दृष्टिकोण से अर्थव्यवस्था पर कोई खास असर पड़े बिना कोविड के प्रसार को रोकने में कामयाबी मिल सकती है।’’ आईएमएफ प्रमुख ने चीन से टीकाकरण नीतियों पर गौर करने और ‘‘सबसे कमजोर लोगों’’ के टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित करने का भी आग्रह किया। आईएमएफ का अनुमान है कि चीनी अर्थव्यवस्था इस साल केवल 3.2 प्रतिशत बढ़ेगी, जो कि साल के लिए वैश्विक औसत से कम है।