जर्मनी की अदालत ने एक मामले में दो वर्ष की मासूम अरिहा को अपनी हिरास में लेने के बाद संरक्षण में रख लिया है। इसके बाद से ही भारतीय मूल के माता-पिता को उसे पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। मगर उनकी कोई मदद नहीं हो पा रही। इस संबंध में जर्मनी में शनिवार को प्रवासी भारतीय समुदाय के सदस्यों ने फ्रैंकफर्ट में विरोध प्रदर्शन किया कि वह वर्तमान में जर्मन राज्य सेवाओं की हिरासत में मौजूद बच्ची अरिहा शाह को उसके भारतीय माता-पिता से मिलाना चाहते हैं। प्रवासी भारतीयों ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मदद करने की अपील की। बच्ची के माता-पिता कानूनी लड़ाई लड़ते हुए परेशान हैं। मगर उन्हें अब कोई रास्ता बच्चे को पाने के लिए सूझ नहीं रहा। उन्होंने भी पीएम मोदी से मदद मांगी है।
जर्मनी में प्रवासी भारतीय प्रदर्शनकारी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को लहरा रहे थे और उन्होंने तख्तियां थामी हुई थीं, जिन पर लिखा था ‘‘मोदीजी अरिहा को बचाइये!’’ और ‘‘अरिहा भारतीय है।’’ शनिवार को बारिश के बीच प्रवासी भारतीय समुदाय के सदस्यों ने दो साल की बच्ची अरिहा को उसके माता-पिता भावेश और धारा शाह के पास लौटाने की अपील की। भावेश और धारा सितंबर 2021 से अपनी बेटी को वापस पाने के लिए लड़ रहे हैं। मगर जर्मनी की अदालत को माता-पिता पर भरोसा नहीं हो पा रहा है। इसलिए वह अपनी बेटी को वापस पाने में विफल रहे हैं। लिहाजा प्रधानमंत्री मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
जानें क्यों अदालत ने अपने संरक्षण में रख ली बच्ची
जर्मन अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि भावेश और धारा बच्ची के साथ उचित व्यवहार नहीं कर रहे थे। इसलिए बच्ची के साथ अनुचित व्यवहार किए जाने का आरोप लगाते हुए जर्मनी की अदालत ने अरिहा को अपनी हिरासत में ले लिया था। तब से वह अदालत की संरक्षण में पल-बढ़ रही है। प्रवासी भारतीयों ने एक वीडियो साझा करते हुए ‘सेव अरिहा’ अकाउंट से एक ट्वीट में कहा गया, ‘‘आज, जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में भारतीय समुदाय ने जर्मनी में भारतीय बच्ची अरिहा के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।’’ पिछले साल दिसंबर में, विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के साथ चर्चा के दौरान इस मुद्दे को उठाया था। मगर अभी तक इसका कोई समाधान नहीं किया गया है। (भाषा)
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