Sunday, December 22, 2024
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अब समलैंगिक जोड़े भी पैदा कर सकेंगे संतान, वैज्ञानिकों ने ईजाद किया प्रजनन का ये नया तरीका

दुनिया भर के समलैंगिक जोड़ों के लिए बड़ी खुशखबरी है। अब समलैंगिक जोड़े भी संतान पैदा करने में सक्षम हो सकेंगे। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीकि ईजाद करने का दावा किया है, जिसके जरिये गे कपल भी संतान का सुख उठा सकेंगे। अगर ऐसा हुआ तो समलैंगिकों के जीवन में यह सबसे बड़ी क्रांति होगी।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Dec 17, 2023 15:43 IST, Updated : Dec 17, 2023 15:43 IST
समलैंगिक जोड़ा (प्रतीकात्मक फोटो)
Image Source : AP समलैंगिक जोड़ा (प्रतीकात्मक फोटो)

 
दुनिया के तमाम देशों में समलैंगिक विवाह का चलन बढ़ा है। मगर अब तक गे कपल यानि same sex marriage में बच्चा पैदा करना सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है। हालांकि अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नया तरीका ईजाद करने का दावा किया है, जिससे समलैंगिक जोड़े भी संतान सुख प्राप्त कर सकेंगे। "द कन्वरसेशन" की एक रिपोर्ट के अनुसार ‘इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस’ (आईवीजी) नामक तकनीक का उपयोग करके मानव त्वचा कोशिकाओं का अंडाणु और शुक्राणु बनाने में सक्षम होना जल्द ही संभव हो सकता है। इसमें मानव शरीर के बाहर (इन विट्रो) अंडाणु और शुक्राणु की उत्पत्ति शामिल है।
 
आईवीजी एक ऐसी तकनीक है जिससे डॉक्टरों को आपके शरीर से ली गयी किसी भी कोशिका से प्रजनन कोशिकाएं बनाने में मदद मिलेगी। इससे समलैंगिक जोड़ों को बच्चा पैदा करने में मदद मिल सकती है। सैद्धांतिक रूप से एक पुरुष की त्वचा कोशिका को अंडाणु और एक महिला की त्वचा कोशिका को एक शुक्राणु में बदला जा सकता है। इससे किसी बच्चे के आनुवंशिक रूप से कई माता-पिता होने या केवल एक के होने की संभावना है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि आईवीजी का मानव अनुप्रयोग अभी बहुत दूर है। बहरहाल, मानव स्टेम कोशिकाओं पर काम कर रहे वैज्ञानिक इन अवरोधों से पार पाने को लेकर सक्रियता से काम कर रहे हैं। यहां हम ‘इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस’ के मानव पहलू के बारे में जानते हैं और क्यों हमें अब इसके बारे में बात करने की जरूरत है।
 

क्या है ये तकनीकि

इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस (युग्मक जनन) ‘प्लुरिपोटेंट स्टेम कोशिकाओं’’ से शुरू होता है। यह एक प्रकार की कोशिका है जो कई अलग प्रकार की कोशिका में विकसित हो सकती है। इसका उद्देश्य इन स्टेम कोशिकाओं को अंडाणु या शुक्राणु बनाने में सक्षम बनाना है। ये तकनीक प्रारंभिक भ्रूण से ली गयी स्टेम कोशिकाओं का इस्तेमाल कर सकती है। लेकिन वैज्ञानिकों ने इस पर भी काम किया है कि वयस्क कोशिकाओं को प्लुरिपोटेंट अवस्था में कैसे वापस लाया जाए। इससे अंडाणु या शुक्राणु बनने की संभावना पैदा होती है जो एक जीवित मानव वयस्क से जुड़ी है।
 

कैसे होगा ये सब संभव

पहली, इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) को सुव्यवस्थित कर सकती है। अभी अंडाणु प्राप्त करने के लिए बार-बार हार्मोन इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं, एक मामूली सर्जरी करनी पड़ती है और अंडाशय के अति उत्तेजित होने का जोखिम होता है। आईवीजी से ये समस्याएं खत्म हो सकती है। दूसरा, यह तकनीक कुछ प्रकार के चिकित्सकीय बांझबन को खत्म कर सकती है। उदाहरण के लिए, इसका उपयोग उन महिलाओं के लिए अंडाणु उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है जिनमें अंडाशय काम नहीं कर रहा है या जो जल्दी रजोनिवृत्त हो रही हैं। तीसरा, इस तकनीक से समलैंगिक जोड़ों को बच्चे पैदा करने में मदद मिल सकती है जो आनुवंशिक रूप से माता-पिता दोनों से जुड़े होंगे।
 
सावधानीपूर्वक परीक्षण, कठोर निगरानी और इससे जन्मे किसी भी बच्चे पर नजर रखना आवश्यक होगा जैसा कि आईवीएफ समेत अन्य प्रजनन प्रौद्योगिकियों के लिए किया गया है। हमें फिर भी सरोगेट मां की जरूरत पड़ेगी : अगर हम प्रत्येक पुरुष साथी की त्वचा कोशिका लेते हैं और एक भ्रूण पैदा करते हैं जो उस भ्रूण को गर्भावस्था के लिए एक सरोगेट (किराये की कोख) की जरूरत पड़ेगी। हमें अब इसके बारे में बातचीत शुरू करने की जरूरत है। 
 

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