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गंदा पानी पीने को मजबूर है दुनिया का हर चौथा शख्स, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बातें

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 40 सालों में विश्व स्तर पर पानी का इस्तेमाल लगभग एक प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है और ‘जनसंख्या वृद्धि, सामाजिक-आर्थिक विकास और बदलते खपत पैटर्न के कारण इसके 2050 तक इसी दर से बढ़ने की संभावना है।’

Edited By: India TV News Desk
Updated on: March 22, 2023 14:38 IST
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Image Source : PIXABAY REPRESENTATIONAL दुनिया में पेयजल को लेकर यूएन की एक बेहद खास रिपोर्ट सामने आई है।

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के पिछले 45 सालों में जल पर पहले बड़े सम्मेलन से एक दिन पहले मंगलवार को जारी एक नयी रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की 26 प्रतिशत आबादी को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि धरती पर रहने वाले 46 फीसदी लोगों को बुनियादी स्वच्छता तक पहुंच हासिल नहीं है। ‘संयुक्त राष्ट्र वर्ल्ड वाटर डेवलपमेंट रिपोर्ट 2023’ में 2030 तक स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता तक सभी लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने के संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आवश्यक कदमों को भी रेखांकित किया गया है।

‘2 अरब लोगों के पास पीने का साफ पानी नहीं’

रिपोर्ट के चीफ एडिटर रिचर्ड कोनोर ने कहा कि लक्ष्यों को पूरा करने की अनुमानित वार्षिक लागत कहीं न कहीं 600 अरब डॉलर से एक हजार करोड़ डॉलर के बीच है। कोनोर ने कहा कि हालांकि उतना ही महत्वपूर्ण निवेशकों, वित्तपोषकों, सरकारों और जलवायु परिवर्तन समुदायों के साथ साझेदारी करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पैसा पर्यावरण को बनाए रखने के तरीकों में लगाया जाए और उन 2 अरब लोगों को पीने योग्य पानी मिल पाए, जिनके पास साफ पेयजल नहीं है, साथ ही 36 लाख लोगों को स्वच्छता तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके।

‘शहरी इलाकों में मांग सबसे ज्यादा बढ़ रही है’
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 40 सालों में विश्व स्तर पर पानी का इस्तेमाल लगभग एक प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है और ‘जनसंख्या वृद्धि, सामाजिक-आर्थिक विकास और बदलते खपत पैटर्न के कारण इसके 2050 तक इसी दर से बढ़ने की संभावना है।’ कोनोर ने कहा कि मांग में वास्तविक वृद्धि विकासशील देशों और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में देखी जा रही है, जहां औद्योगिक विकास और जनसंख्या में तेजी से वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि शहरी इलाकों में ही ‘मांग सबसे ज्यादा बढ़ रही है।’

‘ड्रिप सिंचाई से बचाया जा सकता है काफी पानी’
कोनोर कहा कि वैश्विक स्तर पर 70 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में फसलों की सिंचाई को अधिक कुशल बनाने के लिए होता है। कुछ देशों में अब ‘ड्रिप’ सिंचाई का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे पानी की बचत होती है। ‘ड्रिप’ सिंचाई में जड़ों में बूंद-बूंद पानी टपकाया जाता है। उन्होंने कहा कि इससे शहरों को अधिक पानी उपलब्ध हो सकेगा। रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण ‘बरसाती जल की कमी उन क्षेत्रों में बढ़ेगी, जहां वर्तमान में यह प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, जैसे मध्य अफ्रीका, पूर्वी एशिया तथा दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्से और उन क्षेत्रों में इसकी उपलब्धता और भी बदतर हो जाएगी, जहां पानी पहले से ही कम है, जैसे पश्चिम एशिया तथा उप सहारा अफ्रीका।’

‘ट्रीटमेंट न होने से प्रदूषित रह जाता है पानी’
कोनोर ने कहा कि जहां तक जल प्रदूषण की बात है, तो इसका सबसे बड़ा स्रोत अनुपचारित अपशिष्ट जल है। उन्होंने कहा, ‘विश्व स्तर पर 80 प्रतिशत अपशिष्ट जल बिना किसी ट्रीटमेंट के पर्यावरण में छोड़ दिया जाता है। वहीं, कई विकासशील देशों में यह आंकड़ा करीब 99 प्रतिशत है।’ संयुक्त राष्ट्र के जल पर किए जा रहे सम्मेलन के वक्ताओं की सूची में 171 देशों के 100 से अधिक मंत्री और 20 से ज्यादा संगठनों के प्रतनिधि शामिल हैं। सम्मेलन में 5 ‘परस्पर संवादात्मक वार्ताएं’ और कई अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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