Highlights
- ट्रंप को न्यूयॉर्क राज्य की दीवानी जांच में अपने व्यवसायिक व्यवहार के बारे में शपथ के तहत सवालों का जवाब देना ही होगा।
- ट्रंप इस फैसले के खिलाफ राज्य की सबसे बड़ी अदालत ‘कोर्ट ऑफ अपील’ में याचिका दायर कर सकते हैं।
Donald Trump: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका लगा है। अब उन्हें न्यूयॉर्क राज्य की दीवानी जांच में अपने व्यवसायिक व्यवहार के बारे में शपथ के तहत सवालों का जवाब देना ही होगा। राज्य की एक अपीली अदालत ने गुरुवार को यह फैसला दिया। राज्य की निचली अदालत के अपीलीय खंड में 4 जजों की पीठ ने मैनहट्टन के जज आर्थर एंगोरोन के 17 फरवरी के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें ट्रंप और उनके 2 सबसे बड़े बच्चों के लिए अटॉर्नी जनरल लेटिशिया जेम्स की जांच में गवाही देने के लिए समन जारी किया गया था।
ट्रंप ने की थी आदेश को रद्द करने की अपील
बता दें कि ट्रंप ने इस आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए अपील की थी। उनके वकीलों ने तर्क दिया कि ट्रंप को गवाही देने का आदेश देना उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है क्योंकि उनके जवाब पैरलल क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। 4 जजों की पीठ ने आत्म-अभियोग के खिलाफ पांचवें संशोधन का हवाला देते हुए लिखा, ‘एक आपराधिक जांच संबंधित तथ्यों के दीवानी उद्भेदन को रोकती नहीं है, जिस पर एक पक्ष आत्म-अभियोग के खिलाफ विशेषाधिकार का प्रयोग कर सकता है।’
ट्रंप के लिए अभी भी सारे दरवाजे बंद नहीं
ट्रंप इस फैसले के खिलाफ राज्य की सबसे बड़ी अदालत ‘कोर्ट ऑफ अपील’ में याचिका दायर कर सकते हैं। एक डेमोक्रेट जेम्स ने कहा है कि उनकी जांच से सबूत सामने आए हैं कि ट्रंप की कंपनी, ट्रंप ऑर्गनाइजेशन ने ऋण और कर लाभ प्राप्त करने के लिए गोल्फ कोर्स और गगनचुंबी इमारतों जैसी संपत्तियों के ‘फर्जी या भ्रामक’ मूल्यांकन का इस्तेमाल किया। गुरुवार के फैसले का मतलब ट्रंप के लिए एक कठिन निर्णय हो सकता है कि क्या उन्हें सवालों का जवाब देना है, या आत्म अभियोग के खिलाफ पांचवें संशोधन का हवाला देते हुए चुप रहना है।
न्यूयॉर्क दीवानी में गवाही से क्यों बचना चाहते थे ट्रंप?
दीवानी बयान में ट्रंप जो कुछ भी कहते हैं, उसका इस्तेमाल उनके खिलाफ मैनहट्टन डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के कार्यालय द्वारा की जा रही आपराधिक जांच में किया जा सकता है।