Space News: चीन एक रहस्यमय देश है। वह कब क्या काम करता है किसी को पता नहीं चलता, क्योंकि वह कोई जानकारी विश्व के साथ शेयर नहीं करता है। इसी बीच एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने बड़ा दावा किया है कि चीन के रॉकेट के चंद्रमा से टकराने पर एक नहीं दो गड्ढे हुए हैं। रॉकेट से एक ही गड्ढा होता है। लेकिन दो नए गड्ढे एकसाथ दिखाई देने से यह लग रहा है कि चीन के रॉकेट की वजह से ये दो गड्ढे बने, जिसमें कोई अनजान हथियार रखा था। या कोई अलग तरह का पेलोड था उसमें, जो रॉकेट से अलग होकर नया गड्ढा बना गया। दरअसल, पिछले वर्ष मई में अमेरिका के LRO यानी लूनर रिकॉन्सेंस ऑर्बिटर ने चांद की तस्वीर भेजी। इसमें दो नए गड्ढे एकसाथ दिखाई दिए।
गड्ढों के आसपास रॉकेट के टुकड़ों का कोई सबूत नहीं मिला। वैज्ञानिकों को समझ नहीं आ रहा कि रॉकेट के एक हिस्से की टक्कर से दो गड्ढे कैसे बन गए? पिछले साल 4 मार्च 2022 को रॉकेट बूस्टर चांद के अंधेरे वाले हिस्से से टकराया था। LRO ने तस्वीरें 25 मई 2022 को ली हैं। जहां ये क्रेटर बने हैं वह इलाका मैदानी है। अब कहा जा रहा है कि चीन के रॉकेट की वजह से ये दो गड्ढे बने, जिसमें कोई अनजान हथियार रखा था। या कोई अलग तरह का पेलोड था उसमें, जो रॉकेट से अलग होकर नया गड्ढा बना गया।
दो गड्ढे बने, वो भी एक जैसे आकार के
अंतरिक्ष विज्ञानी बिल ग्रे ने ही सबसे पहले इन गड्ढों को खोजा। इन्होंने ही जनवरी 2022 में रॉकेट बूस्टर के चांद से टकराने की भविष्यवाणी की थी। बिल ग्रे कहते हैं कि रॉकेट की दिशा और दशा की गणित ये बताती है कि ये वर्टिकली 15 डिग्री के एंगल से जाकर टकराया होगा। इसलिए इससे दो गड्ढे बनने की उम्मीद नहीं लग रही है। पहला 18 मीटर का, दूसरा पश्चिमी में 16 मीटर व्यास का।
चीन ने किया इनकार, पर वैज्ञानिक बिल ग्रे अडिग
चीन के अधिकारी और वैज्ञानिक इस घटना से साफ इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि 2014 में चांद पर पहुंचे Chang'e 5-T1 मिशन का रॉकेट उसी साल वायुमंडल में आकर जल गया था। यह उनके रॉकेट की वजह से गड्ढे नहीं बने हैं। बिल ग्रे तो अब भी अपनी बात पर अडिग हैं कि चांद पर अगल-बगल दो गड्ढे चीन के रॉकेट में लगे किसी हथियार की वजह से बने हैं। एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी की स्टडी के मुताबिक NASA के कम से कम 47 रॉकेट और उसके हिस्से चांद की सतह से टकराए हैं। लेकिन इनमें से किसी भी घटना में अगल-बगल दो गड्ढे टक्कर की वजह से नहीं बने।
चांद से टकराते वक्त 9290 किमी थी गति
इन गड्ढों को देखकर लगता है कि वहां पर कोई डंबल गिरा हो. इसलिए दो गड्ढे बन गए. लेकिन रॉकेट में ऐसी कोई वस्तु नहीं होती. वहां जो टक्कर हुई है उस समय टकराने वाली वस्तु की गति 9290 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी की स्टडी के प्रमुख रिसर्चर टैनर कैंपबेल ने कहा कि गड्ढों को देखकर साफ लगता है कि वहां पर दो चीजें एक समान भार वाली टकराई हैं। एक चीज से दो गड्ढे वो भी एक ही आकार के बनना मुश्किल है।
चीन कभी नहीं देगा दुनिया को जानकारी
टैनर कहते हैं कि हमें ये नहीं पता कि किस तरह का पेलोड चीन के रॉकेट में था, लेकिन ये भी हो सकता है कि चीन किसी तरह के हथियार का परीक्षण चांद पर कर रहा हो. शायद ये जानकारी हमें कभी न मिले. क्योंकि चीन ये जानकारी कभी दुनिया को नहीं देगा, लेकिन इतना तो पुख्ता है कि वहां पर रॉकेट के साथ गई और वस्तु भी टकराई है, जो रॉकेट के ऊपरी हिस्से के वजन के बराबर थी।