America-Taiwan: ताइवान के मामले में चीन ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। चीन को दरकिनार करते हुए अमेरिका ने ताइवान को सैन्य सहायता बढ़ाने का निश्चय किया है। चीन की कड़ी आपत्ति के बावजूद जो बाइडेन प्रशासन ने ताइवान को 500 मिलियन डॉलर के हथियारों की बिक्री को मंजूरी दे दी है। विदेश विभाग ने बुधवार को कहा कि उसने उन्नत एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए संबंधित उपकरणों के साथ-साथ इन्फ्रारेड सर्च ट्रैकिंग सिस्टम की बिक्री पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें कहा गया है कि बिक्री में इन्फ्रारेड सिस्टम के साथ-साथ परीक्षण से जुड़ी टेक्नोलॉजी, कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर और स्पेयर पार्ट्स भी शामिल हैं। हालांकि यह सौदा पिछले हथियारों की बिक्री की तुलना में मामूली है, लेकिन अमेरिका के इस कदम की चीन द्वारा कड़ी आलोचना किए जाने की संभावना है। क्योंकि चीन ताइवान को अपना ही स्वायत्त इलाका मानता है और दुनिया को वन चाइना पॉलिसी का फॉलो करने की ताकीद देता है।
ताइवान के सुरक्षा हितों का करते हैं सम्मान: अमेरिका
विदेश विभाग ने एक बयान में कहा, "यह प्रस्तावित बिक्री अपने सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने और एक विश्वसनीय रक्षात्मक क्षमता बनाए रखने के ताइवान के निरंतर प्रयासों का समर्थन करती है। अमेरिका ताइवान के सुरक्षा हितों का सम्मान करता है।
कहा गया है, 'प्रस्तावित बिक्री से ताइवान अपने इलाके की सुरक्षा और आसानी से कर सकेगा। साथ ही एफ 16 विमान के माध्यम से भविष्य के खतरों से निपटने में और सक्षम हो सकेगा।
अमेरिका और ताइवान पर भड़का चीन
अमेरिका द्व्रारा यह घोषणा ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन द्वारा ताइवान की आत्मरक्षा को मजबूत करने की प्रतिज्ञा दोहराए जाने के कुछ ही घंटों बाद आई। हाल के वर्षों में, चीन ने ताइवान के आसपास के जल और आकाश में अपनी सैन्य गतिविधि बढ़ा दी है। द्वीप के पास लड़ाकू जेट और नौसेना के जहाज भेजकर उसे घेरकर रखा है। पिछले साल अमेरिकी प्रतिनिधि नैंसी पेलोसी ने जब ताइवान की यात्रा की थी। तभी से चीन अमेरिका पर भड़का हुआ है। साथ ही ताइवान के एक बड़े नेता की अमेरिका यात्रा पर भी हाल ही में चीन भड़का था।