Thursday, November 14, 2024
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अमेजन नदी में क्यों आया 121 वर्षों का सबसे बड़ा सूखा, लावा की तरह खौलने लगा पानी; 150 डॉल्फिनों की मौत

अमेजन नदी इस वक्त सदी के सबसे भयानक सूखे का सामना कर रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया की सबसे बड़ी नदी में 121 वर्षों का सबसे बड़ा सूखा पड़ा है। नदी के पानी का तापमान मनुष्यों के शरीर से 2 डिग्री अधिक बढ़कर 39 डिग्री तक पहुंच गया है। ऐसे में इसका पानी खौल रहा है। सूखे और तापमान बढ़ने से 150 डॉल्फिनों की मौत हो गई।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: November 26, 2023 17:58 IST
अमेजन नदी में आया 121 वर्षों का सबसे बड़ा सूखा। - India TV Hindi
Image Source : AP अमेजन नदी में आया 121 वर्षों का सबसे बड़ा सूखा।

दुनिया की सबसे बड़ी नदी में शुमार अमेजन रिवर को आखिर किसकी नजर लग गई है। इस वक्त अमेजन नदी 121 वर्षों में अब तक के सबसे बड़े सूखे का सामना कर रही है। इस नदी का पानी लावा-राख की तरह खौलने लगा है। इसका तापमान मनुष्य के शरीर के तापमान से भी 2 डिग्री ज्यादा पहुंच गया है। ऐसे में लाखों जलीय जीव-जंतुओं की मौत हो गई है। मरने वालों में 150 डॉल्फिन भी शामिल हैं। भयंकर सूखे से साउथ अफ्रीकी देशों में कई लाख लोगों और जानवरों का जीवन संकट में है। दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए अमेजन नदी में अचानक आया यह सूखा बड़ी चुनौती है। कहीं यह दुनिया के लिए किसी बड़े खतरे का संकेत तो नहीं?
 
फिलहाल अमेजन नदी अभूतपूर्व सूखे का सामना कर रही है और कम से कम 2024 के मध्य तक क्षेत्र में यह स्थिति जारी रहने का अनुमान है। मनौस शहर में नदी-स्तर के 121 वर्ष के रिकॉर्ड में सबसे कम जलस्तर दर्ज किया गया है। अमेजन नदी के तल के विस्तृत क्षेत्र में जलस्तर घट गया है और 150 से अधिक डाल्फिन एक झील में मर गईं, जहां पानी का तापमान 39 डिग्री सेल्सियस (मानव शरीर के तापमान से दो डिग्री सेल्सियस ऊपर) तक पहुंच गया। अमेजन की सहायक नदियों के तट पर बसी मानव बस्तियां अलग-थलग हो गई है, उनकी आजीविका छीन गई है और बुनियादी सुविधाओं की कमी हो गई है। इस वर्ष एक साथ तीन प्रकार के सूखे का सामना किया जा रहा है, जिसके कारण लगभग पूरा अमेजन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। नवंबर 2023 से जनवरी 2024 तक लगभग पूरे क्षेत्र में सूखे का पूर्वानुमान है।
 

भयानक सूखे से जंगलों में आग लगने का बढ़ा खतरा

अमेजन नदी में आए इस भयानक सूखे से जंगलों में आग लगने का खतरा भी बढ़ गया है। पेरू में कुछ अनुमानित बारिश से अमेजन नदी का जल स्तर बढ़ने में मदद मिल सकती है, लेकिन व्यापक क्षेत्र सूखे और जंगल में लगी आग के चपेट में है। पूर्वी अल नीनो भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के पूर्वी भाग में गर्म पानी के कारण पूर्वी अल नीनो की स्थिति बनती है, जैसा कि 2015 के ‘‘गॉडजिला’’ अल नीनो के दौरान हुआ था, और वहां का पानी 2015 की तुलना में और भी अधिक गर्म है। अकापुल्को को तबाह करने वाले तूफान ‘ओटिस’ के दौरान 250 किमी प्रतिघंटे की गति से चलने वाली हवाएं पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में गर्मी के कहर का प्रमाण हैं। उत्तरी अमेजन में सूखे के अलावा, पूर्वी अल नीनो का प्रभाव क्षेत्र के दक्षिणी भाग तक फैला हुआ है, जैसा कि ब्राजील के एकर राज्य में 2015-2016 के जंगल की आग के दौरान स्पष्ट था और अब रिकॉर्ड निम्न जल स्तर से यह साबित होता है।
 

41 साल पहले आए सूखे से हुई थी 2 लाख से अधिक मौतें

मध्य क्षेत्र अल नीनो पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में गर्म पानी अब समुद्र के मध्य भाग तक फैल रहा है, जहां यह मध्य अल नीनो को तेज करता है जैसा कि 1982 और 1997 में हुआ था। अल नीनो के कारण उत्तरी अमेजन में भीषण सूखा पड़ता है, वेनेजुएला के साथ ब्राजील की सीमा पर स्थित रोराइमा प्रांत जंगल की आग के लिए जाना जाता है। वर्ष 1982 के अल नीनो के कारण अमेजन में पेड़ों के नष्ट होने के अलावा, इथियोपिया और पड़ोसी अफ्रीकी देशों में सूखे के कारण 200,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। ‘इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ (आईपीसीसी) की 1995 की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि वैश्विक जलवायु प्रणाली में कुछ बदलाव आया है, जिससे 1975 के बाद से अल नीनो की स्थिति बनने में वृद्धि हो गई है।

ग्लोबल वार्मिंग के चलते नदी में सूखा आने की है आशंका

वर्ष 2007 की आईपीसीसी रिपोर्ट में यह निर्धारित हो गया कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ‘‘अल नीनो जैसी स्थितियां’’ बार-बार उत्पन्न होंगी। यह इन घटनाओं के राजनीतिक और नैतिक संदर्भ को पूरी तरह से बदल देता है क्योंकि मानवीय गतिविधियों के कारण ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है, और इसके लिए प्रत्येक देश और यहां तक कि प्रत्येक व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। मध्य प्रशांत महासागर में पानी के ‘‘सामान्य’’ तापमान पर लौटने की संभावना जनवरी-मार्च 2024 तक अनिवार्य रूप से शून्य होने और मई-जुलाई 2024 तक 50 प्रतिशत तक नहीं पहुंचने का अनुमान है। अमेजन क्षेत्र में तीसरे प्रकार का सूखा ‘‘अटलांटिक डिपोल’’ से है, जहां उष्णकटिबंधीय उत्तरी अटलांटिक महासागर में पानी गर्म हो जाता है, जबकि दक्षिण अटलांटिक में ठंडा पानी रहता है। ‘अटलांटिक डिपोल’ अमेजन के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में सूखे का कारण बनता है, जैसा कि 2005 और 2010 में हुआ था। वर्तमान ‘अटलांटिक डिपोल’ के कम से कम जून 2024 तक बने रहने का अनुमान है। (द कन्वरसेशन)

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