Highlights
- सोशल मीजिया पर हिंदुओं के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाया जा रहा है
- शोधकर्ताओं ने 10 लाख ट्वीट्स का विश्लेषण किया है
- हिंदुओं के खिलाफ नफरत अकेले पाकिस्तान से नहीं फैल रही
Anti Hindu Content on Social Media: सोशल मीडिया के इस जमाने में किसी एक देश, धर्म, संप्रदाय, जाति या फिर किसी व्यक्ति के बारे में दुष्प्रचार फैलाना काफी आसान हो गया है। इसी से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। जिसपर एक तबका शायद यकीन करने से परहेज भी करेगा। खबर ये है कि सोशल मीडिया पर हिंदुओं की छवि खराब करने के लिए उनके खिलाफ खूब दुष्प्रचार फैलाया जा रहा है। ये जानकारी अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी के एक शोध में सामने आई है। यहां के शोधकर्ताओं ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में बताया है कि सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लैफॉर्म्स पर हिंदुओं के खिलाफ इस्तेमाल होने वाले कंटेंट में काफी बढ़ोतरी देखी गई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, शोध में पता चला है कि बीते कुछ वर्षों से हिंदू समुदाय के खिलाफ नफरत भरे भाषण की घटनाएं बढ़ी हैं और हैरानी की बात ये है कि सोशल मीडिया में इस तरफ ज्यादातर बार ध्यान ही नहीं दिया जाता है। इस शोध का शीर्षक 'एंटी-हिंदू डिस इन्फॉर्मेशन: अ केस स्टडी ऑफ हिंदुफोबिया ऑन सोशल मीडिया' है। शोध के अनुसार, इस्लामी वेब नेटवर्क के जरिए मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम और दूसरे प्लैटफॉर्म पर हिंदुओं को श्वेत राष्ट्रवादी और नरसंहार करने वाला बताकर उनके खिलाफ बनाए गए मीम्स धड़ल्ले से शेयर किए जा रहे हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया गया
रटगर्स यूनिवर्सिटी की एनसी लैब ने सोशल मीडिया पर कोडिड और पहचान छिपाकर कंटेंट फैलाने के मामले को समझने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली है। आपको ये बात जानकर भी हैरानी होगी, कि ट्विटर पर हिंदुओं के खिलाफ किए जा रहे सभी ट्वीट्स अकेले पाकिस्तान से नहीं किए गए हैं। बल्कि शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे ट्वीट ईरान और अन्य देशों से भी किए गए हैं। 10 लाख ट्वीट्स का विश्लेषण करने पर पता चला है कि ईरान के ट्रोलर्स हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाते हुए उन्हें भारत में अल्पसंख्यकों का नरसंहार करने वाला बता रहे हैं। ऐसा करने के पीछे का मकसद देश में हिंसा भड़काना है।
मशीन लर्निंग की भी मदद ली गई है
डाटा को एकत्रित करने और उसके विश्लेषण का काम न्यूजर्सी गवर्नर के STEM स्कोलर्स प्रोग्राम के हाई स्कूल के छात्रों से कराया गया है। इनसे कहा गया था कि इन्हें ओपन सोर्स इंटेलिजेंस से डाटा एकत्रित करना है, साइबर सोशल से जुड़े खतरों का पता लगाने के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करना है और ये पता लगाना है कि हिंदुओं के खिलाफ कितनी मात्रा में गलत सूचना फैलाई जा रही है। भारत में बढ़ते धार्मिक तनाव और हाल में ही राजस्थान के उदयपुर में एक दुकानदार की बेरहमी से की गई हत्या के बीच जुलाई में हिंदू विरोधी ट्वीट और मीम्स रिकॉर्ड स्तर पर शेयर किए गए हैं। जो वास्तविक दुनिया में हिंसा को भड़का सकते हैं।
भारत ने UN से किया था अनुरोध
गौरतलब है कि भारत ने जनवरी 2022 में संयुक्त राष्ट्र से अनुरोध किया था कि ‘हिंदुफोबिया’ सहित बौद्ध और सिख धर्म के प्रति धार्मिक नफरत से जुड़ी घटनाओं को ठीक ढंग से समझने की जरूरत है। दिल्ली में ग्लोबल काउंटर-टेररिजम सेंटर (डीसीटीसी) द्वारा आयोजित डिजिटल बैठक में यूएन में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने अंतरराष्ट्रीय एजेंसी से अनुरोध किया था कि यहूदियों, सिखों और हिंदुओं के खिलाफ खतरों की पहचान की जाए। इस मुद्दे से निपटने के लिए तिरुमूर्ति ने कहा था कि 'धर्म के खिलाफ, खासतौर से हिंदू, बौद्ध और सिख के खिलाफ भय का माहौल उत्पन्न होना गंभीर चिंता का विषय है।