यूक्रेन युद्ध में रूस के खतरनाक परमाणु इरादों की गुप्त सूचना से अमेरिका भी हिल गया है। रूस ने कई महीने पहले अमेरिका के साथ परमाणु समझौता संधि को तोड़कर अपने घातक मंसूबों को स्पष्ट कर दिया था। अब बेलारूस और क्रीमिया की सीमा पर परमाणु हथियार चलाने में सक्षम मिसाइलों की तैनाती करके यूक्रेन समेत दुनिया भर की टेंशन बढ़ा दी है। अमेरिका जानता है कि यदि परमाणु युद्ध हुआ तो बेहद घातक होगा। इसलिए ह्वाइट हाउस ने अब बिना शर्त मास्को से बातचीत करने का प्रस्ताव दिया है। ताकि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के खतरे को टाला जा सके।
अमेरिका भविष्य के परमाणु हथियार नियंत्रण ढांचे के बारे में बिना किसी पूर्व शर्त के रूस के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है। अमेरिका हालांकि दोनों देशों के बीच अंतिम परमाणु हथियार नियंत्रण संधि को स्थगित करने संबंधी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के फैसले के जवाब में कदम उठा रहा है। व्हाइट हाउस प्रशासन के दो वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन शुक्रवार को शस्त्र नियंत्रण संघ के एक संबोधन के दौरान एक नये ढांचे के निर्माण पर वार्ता के लिए बाइडन प्रशासन की इच्छा को स्पष्ट करेंगे।
फरवरी में पुतिन ने अमेरिका से तोड़ दी थी परमाणु संधि
पुतिन ने फरवरी में घोषणा की थी कि वह यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को लेकर वाशिंगटन और मॉस्को के बीच गहरे तनाव के बीच परमाणु हथियार और मिसाइल निरीक्षण के लिए ‘न्यू स्टार्ट’ संधि के प्रावधानों के तहत रूसी सहयोग को रोक रहे हैं। हालांकि, रूस ने कहा था कि वह परमाणु हथियारों पर संधि की सीमा का सम्मान करेगा। अधिकारियों ने कहा कि सुलिवन इस बात को रेखांकित करेंगे कि रूस संधि का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध रहे, लेकिन फरवरी 2026 में संधि समाप्त होने के बाद परमाणु खतरों से निपटने के लिए एक नया ढांचा बनाने के बारे में बातचीत के दरवाजे खुले हैं।
चीन भी बढ़ा रहा परमाणु हथियार
तीसरे विश्व युद्ध के बढ़ रहे खतरे के मद्देनजर चीन भी खुद को तैयार कर रहा है ओर परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ाने में जुटा है। ‘फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स’ के एक वार्षिक सर्वेक्षण के अनुसार, चीन के पास अब लगभग 410 परमाणु हथियार हैं। पेंटागन ने नवंबर में अनुमान लगाया था कि चीन के हथियारों की संख्या इस दशक के अंत तक बढ़कर 1,000 और 2035 तक 1,500 हो सकती है।