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चीन को लगेगी मिर्ची, अमेरिका ने की तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की प्रशंसा

अमेरिका ने दलाई लामा व्यक्तित्व और उनके कार्यों के लिए उनकी प्रशंसा की और जन्मदिन की बधाई दी है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि दलाई लामा की दयालुता और विनम्रता दुनियाभर के अनेक लोगों के लिए प्रेरणा है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : Jul 06, 2023 20:59 IST, Updated : Jul 06, 2023 20:59 IST
चीन को लगेगी मिर्ची, अमेरिका ने की तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की प्रशंसा
Image Source : FILE चीन को लगेगी मिर्ची, अमेरिका ने की तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की प्रशंसा

America on Dalai Lama: अमेरिका ने भारत में रह रहे तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा की प्रशंसा की है। दलाई लामा चीन की आंखों की किरकिरी हैं। ऐसे में दलाई लामा की प्रशंसा से चीन को मिर्ची लग जाएगी। हालांकि निर्विवाद रूप से दलाई लामा ने अपना पूरा जीवन अध्यात्म और मानव शांति की राह में समर्पित कर दिया है। आज तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का जन्मदिन है। इस अवसर पर अमेरिका ने उनके व्यक्तित्व और उनके कार्यों के लिए उनकी प्रशंसा की और जन्मदिन की बधाई दी है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि दलाई लामा की दयालुता और विनम्रता दुनियाभर के अनेक लोगों के लिए प्रेरणा है। 

अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कुछ इस तरह दी शुभकामनाएं

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने गुरुवार को दलाई लामा को उनके 88वें जन्मदिन पर बधाई देते हुए कहा कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता की दयालुता और विनम्रता दुनिया भर में अनेक लोगों के लिए प्रेरणा का काम करती है। ब्लिंकन ने यह भी कहा कि अमेरिका तिब्बतियों की भाषायी, सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता को लेकर दृढ़ है। 

दलाई लामा की दयालुता और विनम्रता दुनिया के लोगों के लिए प्रेरणा

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, 'मैं आदरणीय दलाई लामा को उनके 88वें जन्मदिन के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं, जो तिब्बती समुदाय के लिए एक शुभ दिन है।' ब्लिंकन ने एक बयान में कहा, ‘दलाई लामा की दयालुता और विनम्रता दुनियाभर में अनेक लोगों के लिए प्रेरणा का काम करती है और मैं शांति एवं अहिंसा के प्रति उनकी निरंतर प्रतिबद्धता की गहरी प्रशंसा करता हूं।’

1959 में तिब्बत में चीन की कार्रवाई के बाद भारत आए थे दलाई लामा

दरअसल, साल 1959 में तिब्बत में चीन की कार्रवाई के बाद 14वें दलाई लामा पलायन कर भारत पहुंचे थे जहां उन्हें राजनीतिक शरण मिली और निर्वासित तिब्बत सरकार तब से हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आधारित है। चीन ने तिब्बत पर बलपूर्वक कब्जा कर लिया। लेकिन तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा तिब्बती संस्कृति और तिब्बती की पहचान को दुनियाभर में बनाए रखने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। 

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