Saturday, December 21, 2024
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अमेरिका ने पाकिस्तान-चीन और रूस-सऊदी पर चलाया बड़ा हंटर, चारों देशों की आई शामत

US Attacks Pak-China & Russia-Saudi for Religious Freedom violations: अमेरिका ने चीन-पाकिस्तान और रूस, सऊदी अरब पर एक साथ ऐसा हंटर चलाया है कि चारों देश कराह उठे हैं। दरअसल अमेरिका ने इन चारों देशों को धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघनकर्ताओं के रूप में नामित किया है। इससे चारों देशों की सांसें फूलने लगी है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Dec 03, 2022 18:56 IST, Updated : Dec 03, 2022 18:59 IST
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (फाइल फोटो)
Image Source : AP अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (फाइल फोटो)

US Attacks Pak-China & Russia-Saudi for Religious Freedom violations: अमेरिका ने चीन-पाकिस्तान और रूस, सऊदी अरब पर एक साथ ऐसा हंटर चलाया है कि चारों देश कराह उठे हैं। दरअसल अमेरिका ने इन चारों देशों को धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघनकर्ताओं के रूप में नामित किया है। इससे चारों देशों की सांसें फूलने लगी है। अमेरिका के इस कदम से चारों देशों में हलचल मच गई है। अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन का दोषी ठहराने के बाद इन देशों को सीपीसी में लिस्ट कर दिया है। इसमें विशेष चिंता वाले देश आते हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने पाकिस्तान, चीन, रूस और सऊदी अरब को धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघनकर्ताओं के रूप में नामित किया है और उन्हें 'विशेष चिंता वाले देश' (सीपीसी) के रूप में लेबल किया है। शुक्रवार को ब्लिंकन ने घोषणा की कि वह चीन, पाकिस्तान और रूस सऊदी अरब के साथ सात अन्य को 'धार्मिक स्वतंत्रता के विशेष रूप से गंभीर उल्लंघनों में शामिल होने के लिए नामित कर रहा है।

उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (आईआरएफए) के तहत उन देशों को बाहर किया, जिनके लिए सरकार को समय-समय पर पदनाम सौंपने की आवश्यकता होती है।

अब इन देशों को होगी यह मुश्किल
सीपीसी के रूप में नामित किए जाने के बाद पाकिस्तान, चीन, रूस और सऊदी अरब को आधिकारिक यात्राओं और सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक आदान-प्रदान को रद्द करने, सहायता के निलंबन, आयात और निर्यात समझौतों पर प्रतिबंध लगाने जैसे कई दंडों को झेलना होगा। साथ ही इन देशों की अमेरिका अब विशेष निगरानी भी करेगा। ब्लिंकन ने सभी देशों को एक सामान्य चेतावनी जारी की है कि उनकी निगरानी की जाएगी और सूची में नहीं होने वालों के साथ भी चिंता जताई जाएगी। उन्होंने कहा, "हम दुनिया भर के हर देश में धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता की स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी करना जारी रखेंगे और धार्मिक उत्पीड़न या भेदभाव का सामना करने वालों की वकालत करेंगे।"

इन देशों पर भी अमेरिका ने कसा शिकंजा

ब्लिंकन ने आगे कहा, "हम नियमित रूप से धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता पर सीमाओं के संबंध में अपनी चिंताओं के बारे में देशों को शामिल करेंगे, भले ही उन देशों को नामित किया गया हो या नहीं।"आइआरएफए के तहत प्रतिबंध स्वत: नहीं हैं और एक व्यावहारिक मामले के रूप में पाकिस्तान या सऊदी अरब में बोर्ड पर लागू होने की संभावना नहीं है। इस सूची में अन्य देश इरिट्रिया, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान हैं। तालिबान और रूसी भाड़े के संगठन वैगनर ग्रुप सहित आठ अन्य समूहों को 'विशेष चिंता की संस्था' के रूप में एक समान पदनाम दिया गया था। तीन अन्य देशों, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कोमोरोस और वियतनाम को 'धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघनों को शामिल करने या सहन करने के लिए विशेष निगरानी सूची' में डालकर कम गंभीर उपचार दिया गया।

भारत पर सवाल उठाने वालों की खुली पोल
अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने इनमें से प्रत्येक देश को नामित करने के विशिष्ट कारणों का विस्तार नहीं किया। हालांकि अमेरिका के इस कदम से विशेषकर उन देशों की पोल खुल गई है, जो भारत में धार्मिक असहिष्णुता का आरोप लगाते रहे हैं। ब्लिंकन ने उन देशों के पदनामों की व्याख्या करते हुए कहा, "दुनिया भर में, सरकारें और गैर-राज्य तत्व व्यक्तियों को उनके विश्वासों के आधार पर परेशान करते हैं, धमकाते हैं, जेल में डालते हैं और यहां तक कि उन्हें मार भी देते हैं। कुछ उदाहरणों में वे अवसरों का फायदा उठाने के लिए राजनीतिक लाभ के लिए व्यक्तियों की धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता का गला घोंटते हैं।"

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