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अमेरिका: न्यूजर्सी के स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में आयोजित हुआ कलशपूजन समारोह, वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कलशों की हुई प्राण-प्रतिष्ठा

अमेरिका: न्यूजर्सी रोबिंसविले में बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में कलश पूजन समारोह आयोजित किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच यह समारोह आयोजित हुआ।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : Sep 04, 2023 18:33 IST, Updated : Sep 04, 2023 19:01 IST
अमेरिका: न्यूजर्सी के स्वामीनारायण मंदिर अक्षरधाम में आयोजित हुआ कलशपूजन समारोह
Image Source : INDIA TV अमेरिका: न्यूजर्सी के स्वामीनारायण मंदिर अक्षरधाम में आयोजित हुआ कलशपूजन समारोह

America: अमेरिका के न्यूजर्सी रॉबिंसविले में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर अक्षरधाम का निर्माण कार्य पूरा हो गया है।इ परिप्रेक्ष्य में बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में कलश पूजन समारोह आयोजित किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कुल 18 कलशों की प्राण प्रतिष्ठा की गई। आयोजन में मुख्य रूप से बीएपीएस के अध्यात्मिक प्रमुख परम पावन मंहत स्वामी महाराज भी शामिल हुए। इस कलाश यात्रा में शामिल होने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे थे। इसके साथ ही कलाश पूजन में शामिल होने आए लोगों ने मंदिर की विधि विधान से परिक्रमा की और पूजा अर्चना भी की। न्यूजर्सी रॉबिंसविले में साल 2011 में स्वामी जी महाराज द्वारा औपचारिक रूप से निधि कलश की स्थापना की गई थी। जो कि 12 साल की अथक मेहनत और भक्तों के कठिन प्रयासों से सफल हुई।

बड़ी संख्या में एकत्र हुए श्रद्धालु

करीब 3.5 मिलियन घंटे के श्रमदान से ये मंदिर बनाकर तैयार हुआ है। जिन स्वयंसेवकों ने मंदिर निर्माण में योगदान दिया। उनके ये मौका सबसे खास था। बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का निर्माण का विशेष धार्मिक महत्व है। न्यूजर्सी में जब कलश पूजन किया गया तब भारी तदाद में श्रद्धालु पहुंचे थे। जिसका अंदाजा फोटो देखकर लगाया जा सकता है। अक्षरधाम के निर्माण में सामूहिक रूप से योगदान देने वाले सेवकों के लिए ये मौका बेहद ही खास था।

सद्गुरु ने बताई कलश की महत्ता

इस मौके पर अपने संबोधन में सद्गुरु पूज्य ईश्वरचरणदास स्वामी ने बताया कि, 'कलश को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसके स्थापित होने पर शिखर पूर्ण हो जाता है। जब यह शिखर को सुशोभित करता है, तो इसकी अंतर्निहित सुंदरता निखरती है और यह हमें गहन आनंद से भर देती है।” उन्होंने स्वयंसेवकों की निस्वार्थ सेवा पर जोर देते हुए कहा, “पूरे उत्तरी अमेरिका से भक्त भक्ति और विश्वास के साथ दिन-रात स्वैच्छिक सेवा में एक साथ आए।'

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