संयुक्त राष्ट्र। उत्तर कोरिया लगातार मिसाइल परीक्षण करता रहा है। इसी बीच अमेरिका ने उस पर और प्रतिबंध लगा दिए हैं। लेकिन रूस और चीन ने कोरिया पर प्रतिबंध लगाने पर कोई रुचि नहीं ली। चीन ने उत्तर कोरिया के समर्थन में बयान दिया है।
उत्तर कोरिया द्वारा नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का परीक्षण करने के बाद शुक्रवार को अमेरिका ने और प्रतिबंध लगा दिए। लेकिन चीन और रूस ने इसमें कोई खास रुचि नहीं दिखाई। उत्तर कोरिया द्वारा 2017 के बाद से लंबी दूरी की पहली मिसाइल का परीक्षण करने के एक दिन बाद अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने सुरक्षा परिषद से, इस परीक्षण की निंदा करने और उत्तर कोरिया को बातचीत के रास्ते पर वापस लाने का आग्रह किया। थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि “यह एक बिना उकसावे के की गई कार्रवाई थी” जिससे दुनिया को धमकी भरा संदेश गया है।
अमेरिका के साथ अल्बानिया, फ्रांस, आयरलैंड, नॉर्वे और ब्रिटेन ने बैठक बुलाने का समर्थन किया। थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि अमेरिका प्रतिबंधों को और कड़ा करने के वास्ते कदम उठाने के लिए प्रस्ताव पेश करेगा। उन्होंने बैठक के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया।
उत्तर कोरिया ने 2006 में पहला परमाणु परीक्षण किया था जिसके बाद सुरक्षा परिषद ने पहली बार पाबंदियां लगाई थीं। इसके बाद के सालों में और परीक्षण किये जाने के साथ ही प्रतिबंध कड़े किये गए। ब्रिटेन ने और अधिक प्रतिबंध लगाने पर शुक्रवार को सहमति जताई तथा कई अन्य सदस्यों ने इसी प्रकार की कार्रवाई करने का आग्रह किया।
चीन और रूस अपने पड़ोसी (उ कोरिया) पर से प्रतिबंध हटाने का आग्रह करते रहे हैं। रूस की उप राजदूत ऐना एवस्तिग्निवा ने शुक्रवार को कहा कि और प्रतिबंध लगाने से उत्तर कोरिया के नागरिकों की सामाजिक आर्थिक और मानवीय तकलीफें बढ़ जाएंगी। चीन के राजदूत झांग जुन ने कहा कि सुरक्षा परिषद को इस पर विचार करना चाहिए कि उत्तर कोरिया की सुरक्षा चिंताओं का किस प्रकार निराकरण किया जाए।