
वाशिंगटनः अमेरिका में पढ़ाई करने वाले विभिन्न देशों के हजारों छात्रों को उनका एफ-1 वीजा अचानक निरस्त होने का ईमेल प्राप्त होने के बाद हड़कंप मच गया है। बता दें कि यह ईमेल अमेरिकी विदेश विभाग (DOS) की ओर से भेजा गया है। इसमें छात्रों को उनके F-1 छात्र वीजा को निरस्त किए जाने और इसके बाद उनको स्व-निर्वासन करने का निर्देश दिया गया है। यानि आदेश है कि ऐसे छात्र खुद से अमेरिका छोड़कर तत्काल अपने देश चले जाएं। अन्यथा पकड़ने जाने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के साथ किसी दूसरे देश भी डिपोर्ट किया जा सकता है।
कथित तौर पर यह कार्रवाई कैंपस एक्टिविज्म में भौतिक रूप से शामिल होने वाले छात्रों को लक्षित करने वाली थी। मगर अब यह उससे भी आगे बढ़ चुकी है। यानि अब इसमें ऐसे भी छात्र निशाने पर लिए गए हैं, जो कि विरोध प्रदर्शनों में भौतिक रूप से भले ही शामिल नहीं रहे हों, लेकिन वह किस भी तरह से अमेरिका के "राष्ट्र-विरोधी" सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर, लाइक या कमेंट करने वालों में शामिल थे। ऐसे सभी छात्र अब इस कार्रवाई और जांच के दायरे में आ गए हैं, जिससे अमेरिका में विदेशी छात्रों के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं पर चिंताएं बढ़ गई हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, प्रभावित लोगों में कुछ भारतीय छात्र भी शामिल हैं तथा आव्रजन वकीलों ने पुष्टि की है कि राजनीतिक पोस्ट साझा करने पर भी वीजा रद्द किया जा सकता है।
कितने हैं भारतीय छात्र
ओपन डोर्स रिपोर्ट के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि 2023-24 शैक्षणिक वर्ष के लिए अमेरिका में अध्ययन करने वाले 1.1 मिलियन अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में से 331,000 भारत से हैं। इससे भारतीयों को सबसे ज्यादा चिंता हो रही है।
F-1 वीजा क्या है?
F-1 वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है जो मान्यता प्राप्त संस्थानों में अकादमिक अध्ययन करने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने की अनुमति देता है। पात्र संस्थानों में विश्वविद्यालय, कॉलेज, हाई स्कूल, सेमिनरी, कंजर्वेटरी और स्वीकृत भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के आंकड़ों के अनुसार भारतीय छात्र ऐतिहासिक रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय छात्र आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं।
F-1 वीजा धारकों पर अमेरिकी कार्रवाई
यह कार्रवाई अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की टिप्पणियों के बाद की गई है, जिन्होंने घोषणा की थी कि "राष्ट्र-विरोधी" गतिविधियों के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय छात्र वीजा रद्द कर दिए गए हैं। रुबियो ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका को यह निर्धारित करने का अधिकार है कि किसे प्रवेश की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा, "दुनिया के हर देश को यह तय करने का अधिकार है कि कौन आगंतुक के रूप में आए और कौन नहीं।"
हमास आतंकियों का समर्थन करने वाले छात्र ज्यादा
रुबियो ने हाल ही में AI-संचालित ऐप "कैच एंड रिवोक" के लॉन्च का भी संदर्भ दिया, जिसका उद्देश्य हमास जैसे आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने वाले छात्रों का पता लगाना है। बढ़ती जांच के हिस्से के रूप में, अब नए छात्र वीजा आवेदनों की भी समीक्षा की जा रही है, जिसमें DOS आवेदकों की सोशल मीडिया गतिविधि पर बारीकी से नज़र रख रहा है। दोषी पाए जाने वालों को वीजा से वंचित किया जा सकता है, जिससे उन्हें अमेरिका में अध्ययन करने से रोका जा सकता है।
छात्रों के लिए चौंकाने वाला ईमेल
ट्रंप प्रशासन द्वारा छात्रों को भेजे गए ईमेल में छात्रों को सूचित किया गया कि उनका F-1 वीजा अमेरिकी आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम की धारा 221(i) के तहत रद्द कर दिया गया है। इसमें छात्रों को चेतावनी दी गई कि बिना कानूनी आव्रजन स्थिति के अमेरिका में रहने पर जुर्माना, हिरासत या निर्वासन हो सकता है। ईमेल में यह भी संकेत दिया गया कि छात्रों को उनके गृह देशों के अलावा अन्य देशों में वापस भेजा जा सकता है। इसलिए बेहतर है कि इससे पहले वह खुद से अमेरिका छोड़ दें।
छात्रों को दिया ये निर्देश
ईमेल में कहा गया है, "यदि आप भविष्य में संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करने का इरादा रखते हैं तो आपको दूसरे अमेरिकी वीज़ा के लिए आवेदन करना होगा और उस समय आपकी पात्रता पर निर्णय लिया जाएगा।" संदेश में छात्रों को ट्रम्प प्रशासन के दौरान शुरू किए गए CBP होम ऐप का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है, ताकि उनको अमेरिका से प्रस्थान करने में सुविधा हो सके। आदेश में छात्रों को अपने रद्द किए गए वीज़ा का उपयोग करने का प्रयास न करने की भी चेतावनी दी गई है। साथ ही इस बात पर ज़ोर दिया कि उन्हें प्रस्थान करते समय अमेरिकी दूतावास या वाणिज्य दूतावास में अपना पासपोर्ट प्रस्तुत करना होगा। (इनपुट-टीओआई)