Highlights
- 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है तेजस
- एक साथ छह प्रकार की मिसाइलों को कर सकता है लोड
- हाईरिस्क क्षेत्र में खुद को हवा और जमीन से होने वाले अटैक से बचा कर दुश्मन पर हमला करने में सक्षम
Tejas Fighter demand in Global market: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मेड इन इंडिया का आह्वान रक्षा के क्षेत्र में भी अब पूरी दुनिया में डंका बजा रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत में बने स्वदेशी फाइटर जेट तेजस की ग्लोबल डिमांड अचानक तेजी से बढ़ने लगी है। मेड इन इंडिया के आह्वान के बाद इस फाइटर जेट को देश और दुनिया की अत्याधुनिक जरूरतों के अनुसार अपग्रेड किया गया है। यही वजह है कि रक्षा के क्षेत्र में माहिर माने जाने वाले अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों ने भी भारत के इस फाइटर जेट को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार अब तक अमेरिका समेत आस्ट्रेलिया, मलेशिया, अर्जेंटीना, इजिप्ट, फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसे देश तेजस फाइटर जेट को अपने रक्षा बेड़े में शामिल करने को आतुर हैं। आखिर इस तेजस फाइटर की ऐसी क्या खासियत है, जिसकी पूरी दुनिया दीवानी हो रही है। युद्ध क्षेत्र में तेजस दुश्मनों के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है, आइए इसके युद्ध कौशल को आपको हम समझाते हैं।
तेजस की प्रमुख खासियत
- यह बहुत हल्का सिर्फ 6500 किलो वजन वाला फाइटर जेट है।
- यह सिंगल इंजन और मल्टीरोल फाइटर जेट है।
- इस सुपरसोनिक फाइटर जेट को हिंदुस्तान एअरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बनाया है।
- यह हाईरिस्क क्षेत्र में भी ऑपरेशन को अंजाम देने में माहिर है।
- दुश्मनों के एअरक्राफ्ट और रडार को दूर से ही निशाना बना सकता है।
- एक ही बार में 10 लक्ष्यों को भेद सकता है।
- सिर्फ 460 मीटर के छोटे रनवे पर टेकऑफ कर सकता है।
- इसमें मॉडर्न टेक्नॉलोजी के साथ इजरायल की ईएल/एम-2052 रडार टेक्नॉलोजी का समावेश है।
- 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
- एक घंटे में 2205 किलोमीटर की दूरी तय करता है।
- लंबाई सिर्फ 13.20 मीटर व चौड़ाई 4.40 मीटर है।
- यह टाइटेनियम, कार्बन फाइबर और एल्युमिनियम का बना होने के नाते बेहद मजबूत है।
- इसमें सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर लगा है, जो खुद को आसमान और जमीन से किए गए अटैक में बचाने में सक्षम है।
- इसमें विशेष बियान्ड विजुअल मिसाइल टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल हुआ है। इससे यह दुश्मन के ठिकानों की पहचान कर पलक झपकते उसे तबाह कर सकता है।
- हवा में उड़ते समय ही 20 हजार फीट की ऊंचाई पर इसमें ईंधन भरा जा सकता है।
- यह एअर टू एअर मिसाइल ब्रह्मोज और क्रूज को ले जाने में सक्षम है।
- इसमें एक साथ छह तरह की मिसाइलें लोड की जा सकती हैं।
- इसमें क्लस्टर बम, गाइडेड बम और लेजर गाइडेड बम भी लगाए जा सकते हैं।
- इसकी रफ्तार राफेल से भी 300 किलोमीटर प्रतिघंटा अधिक है।
- यह भारतीय सेना में मिग-21 का मजबूत विकल्प है। उससे दोगुनी क्षमता में हथियार ले जा सकता है।
- हल्का होने की वजह से यह समुद्री पोतों पर आसानी से लैंड और टेकऑफ कर सकता है।
पूर्व पीएम स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने दिया था तेजस नाम
भारत में हल्के फाइटर जेट बनाने की दिशा में वर्ष 1983 से इसकी पहल शुरू हुई थी। इसे बनाने में करीब 18 वर्ष लगे। चार जनवरी 2001 को तेजस ने पहली उड़ान भरी थी। वर्ष 2003 में पूर्व पीएम स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने इसे तेजस नाम दिया था। तब से अब तक यह विमान बहुत अधिक अत्याधुनिक तकनीकि से अपग्रेड किया जा चुका है। भारतीय वायु सेना के सामने यह पहली बार 2016 में प्रस्तुत किया गया था। सेना ने वर्ष 2021 में इसे अपने बेड़े में शामिल कर लिया है। इसके साथ ही मिग-21 को बार-बार दुर्घटनाग्रस्त होने के चलते रिटायर कर दिया है। अब भारत के पास तेजस, राफेल, मिग-29 और सुखोई नामक फाइटर जेट हैं।
चीन, दक्षिण कोरिया और रूस से भी अधिक एडवांस टेक्नॉलोजी
तेजस फाइटर जेट की टेक्नॉलोजी चीन, दक्षिण कोरिया और रूस से भी अधिक एडवांस है। इसको बनाने वाले हिंदुस्तान एअरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के प्रबंधन निदेशक आर माधवन के अनुसार तेजस फाइटर जेट ने अत्याधुनिक टेक्नॉलोजी से लैस होने की वजह से ही चीन, रूस और दक्षिण कोरिया के फाइटर जेटों की ग्लोबल मार्केट को डाउन कर दिया है। यही वजह है कि मलेशिया ने भारत से 18 तेजस फाइटर खरीदने की इच्छा जताई है। हालांकि मलेशिया के सामने रूस के मिग-35 और याक-130 और चीन के जेएफ-17 एवं दक्षिण कोरिया के एफए-50 फाइटर जेट खरीदने का भी विकल्प था। तेजस के मुकाबले चीन का जेएफ-17 काफी सस्ता भी है। बावजूद मलेशिया ने एडवांस टेक्नॉलोजी को महत्व देते हुए तेजस फाइटर खरीदने में दिलचस्पी दिखाई और अन्य देशों के फाइटर जेट को नजरअंदाज कर दिया।