India's Separate Stand in UNSC: भारत ने अक्सर विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर दुनिया के ताकतवर देशों के सामने भी अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करने से नहीं चूकता। भारत वही करता है जो उसे भाता है। दुनिया के अन्य देशों की तरह वह किसी भी देश का पिछ लग्गू नहीं है। यही बात भारत को दुनिया से अलग करती है और पूरे विश्व को अपनी उभरती ताकत का एहसास भी कराती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एक प्रस्ताव को लेकर हुई वोटिंग में परिषद के 15 में से 14 सदस्य एक तरफ खड़े दिखे, लेकिन भारत ने यहां भी अकेले खड़े होकर दुनिया को अपनी चिंताओं से अवगत कराने की हिम्मचत दिखाई। आपको बता दें कि इस दौरान भारत यूएनएससी का अल्पकालिक अध्यक्ष भी है। आइए अब आपको बताते हैं कि यह पूरा मामला था क्या, जिस पर भारत को दुनिया से अलग स्टैंड लेना पड़ा?
दरअसल यूएनएससी में मानवीय सहायता को संयुक्त राष्ट्र के सभी तरह के प्रतिबंधों के दायरों से बाहर रखने के प्रावधान को लेकर एक प्रस्ताव लाया गया, लेकिन यहां भारत ने जोर देकर कहा कि प्रतिबंधित आतंकी संगठनों ने इस तरह की छूट का भरपूर फायदा उठाया है और उन्हें वित्तीय मदद जुटाने तथा लड़ाकों की भर्ती करने में मदद मिली है। इससे आतंकियों को सबसे बड़ा फायदा होता है। इसलिए भारत इसके पक्ष में कभी खड़ा नहीं हो सकता। पंद्रह सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को अमेरिका और आयरलैंड द्वारा पेश उस प्रस्ताव पर मतदान किया, जिसमें मानवीय सहायता को प्रतिबंधों के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान किया गया है। वाशिंगटन ने जोर देकर कहा कि अपनाए जाने के बाद यह प्रस्ताव ‘‘अनगिनत जिंदगियों को बचाएगा। इस पर परिषद के सभी 14 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, लेकिन परिषद का मौजूदा अध्यक्ष भारत इस मतदान से अनुपस्थित रहने वाला एकमात्र देश रहा। इससे पूरी दुनिया को समझ में आ गया कि भारत किसी भी परिस्थिति में अब झुकने वाला देश नहीं रहा। वह वही करता है, जिसे उचित समझता है।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सामने खोली पाकिस्तान की पोल
जिस प्रस्ताव पर परिषद के बाकी 14 सदस्यों ने पक्ष में मदतान किया। उसमें कहा गया है कि समय पर मानवीय सहायता की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए धन, अन्य वित्तीय संपत्तियों, आर्थिक संसाधनों और वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति आवश्यक और अनुमत है तथा यह परिषद या इसकी प्रतिबंध समिति द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं करती है। यूएनएससी की अध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, “हमारी चिंताएं आतंकवादी संगठनों द्वारा इस तरह की मानवीय छूट का भरपूर फायदा उठाने और 1267 प्रतिबंध समिति सहित अन्य प्रतिबंध समितियों का मजाक बनाने के स्पष्ट उदाहरणों से उत्पन्न हुई हैं।” कंबोज ने पाकिस्तान और उसकी जमीन पर मौजूद आतंकी संगठनों का भी परोक्ष रूप से जिक्र किया। उन्होंने कहा, “हमारे पड़ोस में कई आतंकवादी संगठनों द्वारा इन प्रतिबंधों से बचने के लिए खुद को मानवीय संगठनों और नागरिक समाज समूहों के रूप में पुनर्स्थापित किए जाने के कई मामले सामने आए हैं। इनमें परिषद द्वारा प्रतिबंधित संगठन भी शामिल हैं।
भारत के अलग स्टैंड से दबाव में दुनिया
भारत की प्रतिनिध कंबोज का इशारा जमात-उद-दावा (जेयूडी) की तरफ था, जो खुद को एक परोपकारी संगठन बताता है, लेकिन उसे व्यापक स्तर पर लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े अग्रिम संगठन के रूप में देखा जाता है। जमात और लश्कर द्वारा संचालित संस्था फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) द्वारा समर्थित अल रहमत ट्रस्ट भी पाकिस्तान में स्थित हैं। कंबोज ने कहा, “ये आतंकवादी संगठन धन जुटाने और लड़ाकों की भर्ती करने के लिए मानवीय सहायता के क्षेत्र में छूट का फायदा उठाते हैं।” उन्होंने कहा, “भारत 1267 (प्रतिबंध समिति) के तहत प्रतिबंधित उन संगठनों को मानवीय सहायता प्रदान करते समय उचित सावधानी बरतने का आह्वान करता है, जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा सार्वभौमिक रूप से आतंकवादी पनाहगाह के रूप में स्वीकार किए गए क्षेत्रों में सरकार के पूर्ण समर्थन के साथ फलते-फूलते हैं।
कंबोज ने दोहराया कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों द्वारा इस छूट से मिलने वाले मानवीय कवच का दुरुपयोग किसी भी परिस्थिति में क्षेत्र या उससे परे अपनी गतिविधियों को विस्तार देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस तरह की छूट से आतंकवादी संगठनों को हमारे क्षेत्र की राजनीति की ‘मुख्यधारा’ में आने में मदद नहीं मिलनी चाहिए। इसलिए इस प्रस्ताव के क्रियान्वयन में अत्यधिक सावधानी बरते जाने की जरूरत है।