Monday, November 25, 2024
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Indo-America Relationship: चीन को चित्त करने के लिए ताइवान के बाद भारत को साधने पर नजर, अमेरिकी विदेश मंत्री तीन दिनों के दौरे पर

Indo-America Relationship: चीन का दिमाग ठंडा करने के लिए इन दिनों अमेरिका कोई भी कोर-कसर बाकी नहीं रख रहा है। चीन के विरोध के बावजूद ताइवान में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से ही अमेरिका और चीन के बीच तनातनी है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra
Updated on: September 04, 2022 18:29 IST
Indo-America Relation- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Indo-America Relation

Highlights

  • चीन के हेकड़ी निकालने के लिए भारत से दोस्ती प्रगाढ़ कर रहा अमेरिका
  • अमेरिका को है पता कि चीन को सिर्फ भारत दे सकता है कड़ी चुनौती
  • अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के निर्देश पर पहल शुरू

Indo-America Relationship: चीन का दिमाग ठंडा करने के लिए इन दिनों अमेरिका कोई भी कोर-कसर बाकी नहीं रख रहा है। चीन के विरोध के बावजूद ताइवान में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से ही अमेरिका और चीन के बीच तनातनी है। वहीं दूसरी तरफ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी हरकतों के चलते और पूर्व में गलवान घाटी में सैनिकों के बीच झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच भी कट्टर दुश्मनी पैदा हो चुकी है। ऐसे वक्त में चीन को चित्त करने के लिए अमेरिका को भारत से बेहतर और मजबूत देश कोई नहीं दिख रहा। अमेरिका ने इसी लिए पहले ताइवान को साधा अब भारत से दोस्ती को और प्रगाढ़ करना चाहता है। इसी कड़ी में अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू पांच सितंबर से तीन दिवसीय भारत दौरे पर आ रहे हैं। 

डोनाल्ड लू के साथ अमेरिका का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी होगा, जो अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को प्रगाढ़ करने और स्वतंत्र एवं खुले, लचीले और सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र को समर्थन देने के लिए, सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करेगा। विदेश मंत्रालय के अनुसार दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के सहायक विदेश मंत्री के नेतृत्व में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल पांच से आठ सितंबर तक भारत का दौरा करेगा। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व डोनाल्ड लू करेंगे। मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा कि इसका उद्देश्य अमेरिका-भारत व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को प्रगाढ़ करना है।

समुद्री सुरक्षा पर अहम बैठक

 मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार डोनाल्ड लू पूर्वी एशियाई और प्रशांत मामलों के ब्यूरो के लिए उप सहायक विदेश मंत्री कैमिली डावसन के साथ क्वाड के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में शामिल होंगे और अमेरिका-भारत टू प्लस टू अंतरसत्रीय बैठक के लिए हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों के रक्षा सहायक मंत्री एली रैटनर के साथ समुद्री सुरक्षा वार्ता में शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘प्रतिनिधिमंडल वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों के साथ उन तरीकों पर चर्चा करेगा कि कैसे अमेरिका और भारत एक स्वतंत्र एवं खुले, जुड़े, समृद्ध, लचीले और सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने के लिए अपने सहयोग का विस्तार कर सकते हैं, जहां मानवाधिकारों का सम्मान हो।

Indo-America Relation

Image Source : INDO-AMERICA RELATION
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चीन की हरकतों पर चर्चा
भारत, अमेरिका और कई अन्य विश्व शक्तियां संसाधन संपन्न क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य युद्धाभ्यास की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, खुले और समृद्ध हिंद-प्रशांत को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर देने की बात कर रही हैं। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, वहीं ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं। लू महिला उद्यमियों के साथ अमेरिका-भारत महिला आर्थिक सशक्तीकरण गठबंधन के तहत एक कार्यक्रम में भी शामिल होंगे। इस आयोजन का उद्देश्य कार्यबल में महिलाओं की सार्थक भागीदारी के माध्यम से आर्थिक सुरक्षा बढ़ाना है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह वरिष्ठ व्यावसायिक अधिकारियों के साथ एक गोलमेज चर्चा में भी शामिल होंगे। 

और गहरे होंगे भारत-अमेरिका के बीच संबंध
पिछले महीने, अमेरिकी वित्त मंत्रालय के उप मंत्री वैली अडेमो ने भारत का दौरा किया और भारतीय नीति निर्माताओं के साथ यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बीच खाद्य असुरक्षा और उच्च ऊर्जा कीमतों जैसी वैश्विक चुनौतियों से संयुक्त रूप से निपटने के तरीकों पर चर्चा की। अडेमो ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा, वित्त सचिव अजय सेठ, विदेश सचिव विजय क्वात्रा और पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन से मुलाकात की थी। अमेरिकी वित्त मंत्रालय द्वारा 26 अगस्त को एक विज्ञप्ति में कहा गया कि अडेमो ने क्वाड और हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे जैसे मंचों के माध्यम से पहले से ही मजबूत अमेरिका-भारत संबंधों को और गहरा करने के महत्व को भी रेखांकित किया। ताकि भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ बनाया जा सके। 

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