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Adolf Hitler: इतने करोड़ में बिकी तानाशाह हिटलर की घड़ी, खासियत जानकर हैरान रह जाएंगे आप

Adolf Hitler: जर्मनी के तानाशाह हिटलर के बारे में कौन नहीं जानता है। आप शायद उसके जन्म से मौत तक की उसकी पूरी ज़िंदगी जानते होंगे, लेकिन क्या आप उसकी उस घड़ी के बारे में जानते हैं, जो उसे उसके 44वें जन्मदिन पर दी गई थी?

Edited By: Sushmit Sinha @sushmitsinha_
Published on: July 30, 2022 13:36 IST
Adolf Hitler watch - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Adolf Hitler watch

Highlights

  • इतने करोड़ में बिकी तानाशाह हिटलर की घड़ी
  • खासियत जानकर हैरान रह जाएंगे आप
  • हिटलर के 44वें जन्मदिन पर दी गई थी घड़ी

Adolf Hitler: जर्मनी के तानाशाह हिटलर के बारे में कौन नहीं जानता है। आप शायद उसके जन्म से मौत तक की उसकी पूरी ज़िंदगी जानते होंगे, लेकिन क्या आप उसकी उस घड़ी के बारे में जानते हैं, जो उसे उसके 44वें जन्मदिन पर दी गई थी? उस घड़ी की अमेरिका में निलामी हुई है और निलामी में उस घड़ी कि कीमत करोड़ों में लगी है। हालांकि अमेरिका का यहूदी समुदाय हिटलर की घड़ी की इस निलामी के पक्ष में नहीं था, लेकिन इसके बावजूद यह घड़ी बेची गई और इसे खरीददार ने 11 लाख डॉलर यानि कुल 8 करोड़ 70 लाख रुपए दे कर खरीदा।

बोली लगाने वाला गुमनाम

हिटलर की इस घड़ी की बोली लगाने को लेकर यहूदी समुदाय पहले से नाराज है और उसने इस ऑक्शन पर आपत्ति भी जताई थी। हालांकि इसके बावजूद भी अमेरिका के मैरीलैंड में अलेक्जेंडर हिस्टोरिकल ऑक्शन में इस घड़ी को एक ऐसे व्यक्ति को बेंच दिया गया जिसे कोई नहीं जानता। यानि बोली लगाने वाला शख्स गुमनाम है, उसने अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं होने दी। शायद उसने ऐसा इसलिए किया होगा, क्योंकि हिटलर को पूरी दुनिया नफरत की नजरों से देखती है और यहूदी समुदाय भी हिटलर की घड़ी के ऑक्शन को लेकर खुश नहीं था।

क्यों मिली थी हिटलर को ये घड़ी

हिटलर को यह घड़ी 20 अप्रैल, 1933 को तब दी गई थी जब वह जर्मनी का चांसलर बना था। इसी दिन हिटलर का जन्मदिन भी था। नीलामीकर्ताओं ने कहा है कि दुनिया के सबसे अनुभवी और सम्मानित घड़ी के जानकारों और सैन्य इतिहासकारों ने पूरे शोध के बाद बताया है कि यह घड़ी वाकई एडॉल्फ हिटलर से संबंधित है। इस घड़ी को युद्ध की स्मृति चिन्ह के रूप में फ्रांसीसी समूह के एक सैनिक गुट ने तब लिया था, जब 4 मई 1945 को इस गुट ने हिटलर के पर्वतीय बरघोफ पर बने किले नुमा इमारत में धावा बोला था। यहां से युद्ध जीत कर जब फ्रांसीसी सैनिक अपने घर वापस आने लगे तो उस समूह के एक सैनिक सार्जेंट रॉबर्ट मिग्नॉट अपने साथ यह घड़ी फ्रांस ले आए। इसके बाद उन्होंने यह घड़ी अपने चचेरे भाई को बेच दिया और यह घड़ी तब से अब तक मिग्नॉटा परिवार के साथ ही रही। 

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