वॉशिंगटन: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के दौरान पहली बार नौवहन की स्वतंत्रता के अभियान के तहत अमेरिका ने विवादित दक्षिण चीन सागर क्षेत्र के उस कृत्रिम द्वीप के पास युद्धपोत भेजा है, जिस पर चीन अपना दावा जताता है। अमेरिका का यह कदम चीन को बुरी तरह भड़का सकता है। (US ने चीन से पूछा मेरा विमान क्यों रोका? चीन ने दिया यह करारा जवाब)
लक्षित मिसाइल विध्वंसक USS देवे ने मिस्चीफ टापू के 20 किलोमीटर के दायरे में गश्त लगाई है। यह टापू स्प्रैटली द्वीपसमूह का हिस्सा है, जिस पर कई देशों का दावा है। इन देशों में चीन भी शामिल है। यह अभ्यास अक्टूबर के बाद पहली बार किया गया है। पेंटागन के प्रवक्ता जेफ डेविस ने कहा, ‘हम एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नियमित आधार पर संचालन करते हैं, जिसमें दक्षिण चीन सागर भी शामिल है और हम इसका संचालन अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार करते हैं।’ (नहीं माना चीन, यहां फिर से अटकाएगा भारत की राह में रोड़ा)
उन्होंने वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए बयान में कहा कि गश्ती किसी भी एक देश को लेकर नहीं है और न ही यह किसी एक जलक्षेत्र को लेकर है। नौवहन की स्वतंत्रता का अभियान अमेरिका की ओर से दिया जाने वाले ऐसा संकेत है, जिसके जरिए वह अहम समुद्री मार्गों को खुला रखने के अपने इरादे को जाहिर करता है। नौवहन की स्वतंत्रता से जुड़ी गश्त का संचालन करके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन को एक ऐसे समय पर गुस्सा दिला रहे हैं, जब अमेरिका उत्तर कोरिया पर लगाम लगाने के लिए चीन से अधिक सहायता की मांग कर रहा है। (ट्रंप ने भारत की तारीफ की फिर भी नवाज शरीफ कुछ नहीं बोल पाए: इमरान खान)
इस समय चीन दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे क्षेत्र पर अपना दावा करता है लेकिन ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इस क्षेत्र पर अपना दावा पेश करते हैं। इस महीने की शुरआत में डेविस ने विदेशी पत्रकारों को बताया था कि नौवहन स्वतंत्रता अभियान (FONOPS) अमेरिका द्वारा दुनिया भर में की जानेवाली नियमित गतिविधि है। (अमेरिकी जासूसों पर कहर बनकर टूटा चीन, 2 साल में मारे इतने जासूस!)