नई दिल्ली: दुनिया में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर संयुक्त राष्ट्र में एक लंबी बहस चल रही है। बहस के दौरान धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिका ने चीन और पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत सैम ब्राउनबैक ने कहा कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक भेदभावपूर्ण कानूनों और प्रथाओं से पीड़ित हैं। साथ ही चीन में धार्मिक स्वतंत्रता पर व्यापक और अनुचित प्रतिबंध बढ़ाए जा रहे हैं, इसे लेकर हम चितिंत हैं।
सैम ब्राउनबैक ने कहा कि हम चीनी सरकार से उस राष्ट्र में सभी के मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता का सम्मान करने का आग्रह करते हैं। वहीं दुनिया भर के देशों से संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने धार्मिक नफरत खत्म करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम के खिलाफ घृणा, ईसाइयों और अन्य धार्मिक समूहों के उत्पीड़न की भावना को खत्म किया जाना चाहिए।
एंटोनियो गुटेरेस ने यह भी कहा कि यहूदियों की हत्या कर दी गई थी और मस्जिदों में मुस्लिमों को मारा जा रहा है। उनके धार्मिक स्थलों को तोड़ा जा रहा है। वहीं ईसाइयों को मारा जा रहा है और उनके चर्चों में आग लगाई जा रही है।
पाकिस्तान में हिंदू, ईसाई और अहमदिया समुदाय के लोगों की धर्मिक आज़ादी की हालत को लेकर खुद पाकिस्तान के ही नवीद वॉल्टर ने इमरान सरकार को जमकर कोसा है। ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा और फ्रांस के साथ साथ कई देशों ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता ज़ाहिर की है। इन देशों ने कहा है कि पाकिस्तान और चीन की सरकारें ये तय करें कि उनके देशों में अल्पसंख्यकों को उनकी धार्मिक आज़ादी का अधिकार मिले।