वाशिंगटन: द्विपक्षीय संबंधों के लिए जिन समझौतों को अमेरिका महत्वपूर्ण मानता है, उन मौलिक समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए वाशिंगटन को नयी दिल्ली पर बेहद रचनात्मक तरीके से दबाव बनाना होगा। अमेरिका के एक शीर्ष कमांडर ने संसद से उक्त बात कही है। अमेरिकी प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल हैरी जे. हैरिस ने संसदीय सुनवायी के दौरान सदन की सशस्त्र सेवा समिति के समक्ष कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हम भारत में इसे लागू करने पर कैसे जोर देते हैं या भारतीयों के साथ किस प्रकार से काम करते हैं, इन मामलों में रचनात्मक होना पड़ेगा ताकि ऐसे मकाम पर पहुंच सकें जहां हम इस प्रमुख रक्षा सहयोगी के साथ हों।’’ (अमेरिका: नकली सिगरेट तस्करी के आरोप में दो भारतीयों को सजा )
तत्कालीन बराक ओबामा सरकार ने 2016 में भारत को प्रमुख रक्षा सहयोगी का दर्जा दिया था जिसे डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 2017 में बरकरार रखा। हैरिस ने कहा, ‘‘हमने भारत को 2016 में (प्रमुख रक्षा सहयोगी का) दर्जा दिया और 2017 में उसे जारी रखा। मुझे लगता है कि 2018 में, अब समय आ गया है कि इसे मूर्त रूप दिया जाये। इसका अर्थ है कि अब हमें अपनी तरफ से भी काम करना होगा।’’ एडमिरल उन तीन मौलिक समझौतों का जिक्र कर रहे थे, जो अमेरिका भारत के साथ करना चाहता है।
भारत इन मौलिक समझौतों के कुछ प्रस्तावों पर आपत्ति कर रहा है। इसके परिणाम स्वरूप पेंटागन ने हाल ही में भारती उन्मुखी दस्तावेजों पर काम करना शुरू किया है जिसके तहत भारत की सभी चिंताएं भी दूर हो जायें और अमेरिका के मौजूदों कानूनों पर भी कोई असर ना पड़े। हैरिस भारत और भारतीय-अमेरिकी संसदीय कॉकस की सह-अध्यक्ष सांसद तुलसी गबार्ड के सवालों का जवाब दे रहे थे।