वॉशिंगटन: अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को आधुनिक करने की नई नीति की घोषणा की है। अपनी इस नीति के तहत दुनिया का यह सबसे शक्तिशाली देश नए छोटे परमाणु बम विकसित करेगा और अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह रणनीति 21वीं सदी में सामने आ रहे विभिन्न खतरों का सामना करने के अनुरूप तैयार की गई है। पेंटागन में 2018 न्यूक्लियर पोश्चर रिव्यू (NPR) के जारी होने के बाद ट्रंप ने कहा कि इसका लक्ष्य हमारे परमाणु कमान, नियंत्रण, संचार, हमारी सेना के तीनों अंगों, दोहरी क्षमता वाले विमानों और परमाणु बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाना है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि क्षमताओं को विकसित करने की रणनीति का लक्ष्य परमाणु हथियार के इस्तेमाल की क्षमताओं को न्यूनतम करना है। इसके अलावा, यह अमेरिका, इसके सहयोगी और साझेदारों के खिलाफ रणनीतिक हमलों को रोकने की क्षमता को भी बढ़ाएगा। ट्रंप ने कहा कि महत्वपूर्ण है कि यह शस्त्र नियंत्रण और परमाणु अप्रसार की भी हमारी प्रतिबद्धता को दोहराता है। साथ ही यह परमाणु परीक्षणों पर रोक बनाए रखता है और ‘परमाणु आतंकवाद को रोकने, पता लगाने और उसपर प्रतिक्रिया देने के प्रयासों में सुधार के लिए भी प्रतिबद्ध है। अमेरिका का यह कदम रूस के द्वारा नए परमाणु हथियारों के निर्णाण के बाद सामने आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन कदमों से दुनिया में हथियारों को लेकर एक नई दौड़ शुरू हो सकती है।
अमेरिका की यह नई नीति 100 पृष्ठों में है और इसकी प्रस्तावना में रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने कहा है कि एक प्रभावी परमाणु प्रतिरोध बनाए रखना युद्ध लड़ने की तुलना में कम महंगा है। मेटिस ने कहा कि हम अपनी परमाणु क्षमताओं को प्रभावी बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं जबकि अमेरिका सशस्त्र नियंत्रण परमाणु अप्रसार और परमाणु सुरक्षा विषयों से पीछे नहीं हटा है। उन्होंने कहा कि परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का लक्ष्य हासिल करने की हमारी प्रतिबद्धता अब भी मजबूत बनी हुई है। मेटिस ने कहा कि रूस और चीन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए पूरी तरह से नई परमाणु क्षमताओं को विकसित कर रहे हैं। साथ में पारपंरिक सेना को भी आधुनिक किया जा रहा है जो अमेरिका की पारंपरिक सैन्य श्रेष्ठता के लिए चुनौती है।
मेटिस ने कहा कि रूस इन हथियारों के साथ ही अन्य प्रणालियों को भी आधुनिक कर रहा है। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि सबसे ज्यादा परेशान करने वाला यह है कि रूसी सेना ऐसी रणनीतियों और क्षमताओं को स्वीकार कर रही है जो सफलता के लिए परमाणु विस्तार पर भरोसा रखती है। उन्होंने कहा कि इन घटनाक्रमों के साथ रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा करना और हमारे सहयोगियों पर परमाणु हमले करने की धमकी देना बताता है कि मास्को महाशक्ति की प्रतिस्पर्धा में लौटने की मंशा रखता है। रिपोर्ट में उत्तर कोरिया और ईरान का भी जिक्र है। इस रिपोर्ट में पाकिस्तान का कोई जिक्र नहीं है जबकि अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहले पाकिस्तान में परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी।