न्यूयॉर्क: अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए के पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि चीन के डराने-धमकाने की वजह से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने वक़्त रहते दुनिया के देशों के लिए कोरोना वायरस की चेतावनी जारी नहीं की थी। इस बीच नौ प्रभावशाली अमेरिकी सीनेटरों के एक समूह ने संसद में एक विधेयक पेश किया है, जिसमें कहा गया है कि यदि चीन कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के पीछे की वजहों की पूरी जानकारी मुहैया नहीं कराता है और इसे काबू करने में सहयोग नहीं देता है, तो अमेरिका के राष्ट्रपति को चीन पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
‘कोविड-19 जवाबदेही अधिनियम’ विधेयक को सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने तैयार किया है और आठ अन्य सांसदों ने इसमें उनका साथ दिया है। इस विधेयक को मंगलवार को सीनेट में पेश किया गया। इस विधेयक में कहा गया है कि राष्ट्रपति 60 दिन के भीतर कांग्रेस में यह प्रमाणित करेंगे कि चीन ने अमेरिका, उसके सहयोगियों या विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध संस्थाओं के नेतृत्व वाली कोविड-19 संबंधी जांच के लिए पूर्ण जानकारी मुहैया कराई है और उसने मांसाहारी वस्तुओं की बिक्री करने वाले उन सभी बाजारों को बंद कर दिया था, जिनसे जानवरों से मनुष्यों में कोई संक्रमण फैलने का खतरा पैदा होता है।
इसमें कहा गया है, यदि राष्ट्रपति इसे प्रमाणित करते हैं तो उन्हें चीन की सम्पत्तियां सील करने, यात्रा संबंधी प्रतिबंध लगाने, वीजा रद्द करने, अमेरिकी वित्तीय संस्थाओं को चीनी कारोबार को ऋण देने से रोकने और चीनी कंपनियों को अमेरिकी शेयर बाजार में सूचीबद्ध किए जाने पर रोक लगाने जैसे प्रतिबंध लागू करने का अधिकार होगा। ग्राहम ने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी यदि चीजें नहीं छिपाती, तो वायरस अमेरिका में नहीं पहुंचता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चीन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जांच के लिए वुहान प्रयोगशाला में जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। मुझे लगता है कि यदि चीन पर दबाव नहीं बनाया गया, तो वह जांच में कभी सहयोग नहीं करेगा।" इससे पहले न्यूज़वीक ने बताया कि सीआईए की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने डब्लूएचओ को धमकी दी कि यदि संगठन ने कोविड-19 को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया तो वो उसे कोरोना संक्रमण की जांच में शामिल नहीं करेगा।
यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब पिछले साल चीन के वुहान में उत्पन्न हुए इस महामारी के कारण 80,000 से अधिक अमेरिकियों की मौत हो गई चुकी है। इस खुलासे के बाद वाशिंगटन और बीजिंग के बीच तनाव और बढ़ने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस संक्रमण से दुनिया भर में 2,50,000 लोगों की मौत हो चुकी है और 40 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हैं।