वाशिंगटन: अमेरिका के दो वैज्ञानिकों के अनुमान के मुताबिक 2018 और आनेवाले वर्षों में दुनिया भूकंप के बड़े खतरे की जद में है। इन दोनों वैज्ञानकों के मुताबिक दुनिया के कई हिस्सों को बड़े भूकंप का सामना करना पड़ सकता है। कोलोराडो यूनिवर्सिटी के रोजर बिल्हाल और मोनटाना यूनिवर्सिटी के रिबेका बेंडिक ने जियोलॉजिक सोसायटी ऑफ अमेरिका के वार्षिक कॉन्फ्रेंस अपने रिसर्च पेपर को प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि धरती की घूमने की गति और भूकंप की घटनाओं के बीच संबंध है। उन्होंने बताया कि पृथ्वी की घूर्णन गति कम होने से भूकंप का खतरा बढ़ता है।
इस संबंध में पिछले सौ साल के स्टडी को पेश करते हुए उन्होंने कहा कि भूकंप (7 से ज्यादा तीव्रता) में 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस रिसर्च पेपर में बड़े भूकंप से पहले 5 से 6 से साल की स्थिति को देखा गया जिसमें भावी भूकंप के खतरे की पूरी झलक मिलती है। ऐसा पाया गया कि पृथ्वी की घूर्णन गति कम होते है भूकंप का खतरा बढ़ जाता है। इस अध्ययन में इस बात की पुष्टी हुई है। दोनों वैज्ञानिकों ने बताया कि पृथ्वी के घूर्णन गति में उतार-चढ़ाव काफी कम है। इसकी वजह से दिन की लंबाई कई मिलीसेकेंड से बदलते हैं। लेकिन इस बदलाव से धऱती के अंदर भारी मात्रा में एनर्जी रिलीज होती है।
हालांकि दोनों वैज्ञानिक इसके पीछे की असली वजह की व्याख्या नहीं कर पाए लेकिन उन्होंने कहा कि यह पृथ्वी के मूल व्यवहार में बदलाव की वजह से हो सकता है। दोनों वैज्ञानिकों ने कहा कि इस घूर्णन थ्योरी के आधार पर भी यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि कब और कहां भूकंप आएगा। लेकिन अधिकांश बड़े भूकंप पश्चिम और ईस्ट इंडीज में भूमध्य रेखा के नजदीक आए हैं।