वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने 19 खरब अमेरिकी डॉलर के राहत पैकेज पर बृहस्पतिवार को हस्ताक्षर कर दिए। राष्ट्रपति ने कहा है कि इस राहत पैकेज से कोरोना वायरस के कारण दिक्कतें झेल रहे लोगों, कारोबारियों को मदद मिलेगी और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा। बाइडन ने राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद पहली बार राष्ट्र को अपना प्राइम-टाइम संबोधन देने से कुछ घंटो पहले राहत देने वाले विधेयक पर हस्ताक्षर किए।
अमेरिका में कोरोना वायरस महामारी के कारण 5.29 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ओवल कार्यालय में विधेयक पर हस्ताक्षर करते हुए बाइडन ने कहा कि यह ऐतिहासिक कानून इस देश की रीढ़ की हड्डी (अर्थव्यवस्था) को फिर से मजबूत करेगा। बाइडन की योजना इस विधेयक पर शुक्रवार को हस्ताक्षर करने की थी लेकिन यह विधेयक बुधवार देर शाम ही व्हाइट हाउस पहुंच गया। यह उम्मीद से पहले आ गया। उन्होंने कहा,‘‘हम जल्द से जल्द इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं।’’ बाइडन ने कहा कि वह इस बारे में बात करेंगे कि बीते एक साल साल में देश किस-किस चीजों से गुजरा है और आगे क्या आने वाला है।
अमेरिका में बेरोजगारी भत्ते का दावा करने वालों की संख्या घटकर 7,12,000 रह गई
अमेरिका में बेरोजगारी का लाभ उठाने वालों की संख्या पिछले सप्ताह घटकर 7,12,000 रह गई। यह संख्या पिछले साल नवंबर के बाद सबसे कम है। इससे यह पता चलता है कि नियोक्तओं ने अब रोजगार में कटौती कम कर दी है। कोरोना वायरस के मामलों में कमी आने और अर्थव्यवस्था में सुधार को इसकी वजह माना जा रहा है। श्रम विभाग ने बृहस्पतिवार को कहा कि बेरोजगारी सहायता के मामलों में एक सपताह पहले के 7,54,000 से 42 हजार कम हो गये। रोजगार बाजार में हालांकि धीरे धीरे मजबूती आ रही है लेकिन अभी भी कई व्यवसाय दबाव में चल रहे हैं। कुल मिलाकर अभी भी 96 लाख रोजगारों का नुकसान हुआ है। अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के प्रभाव के कारण पिछले 12 माह से दबाव में है।
अमेरिका की अर्थव्यवस्था में फरवरी माह के दौरान 3,79,000 रोजगार जोड़े गये। यह अक्टूबर माह के बाद सबसे ज्यादा है। इससे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता अब अधिक खर्च कर रहे हैं और राज्यों तथा शहरों में कारोबारी प्रतिबंध अब हल्के हो रहे हैं। बहरहाल, बृहस्पतिवार को जारी बेरोजगारी के आंकड़े हालांकि पिछले चार माह के दौरान सबसे नीचे हैं लेकिन ये बताते हैं कि एतिहासिक तौर पर यह अब भी ऊंचे हैं। कोरोना वायरस महामारी फैलने से पहले यह आंकड़े कभी भी सात लाख तक नहीं पहुंचे थे। यहां तक कि बड़ी मंदी के समय भी इन्होंने सात लाख के आंकड़े को पार नहीं किया था।
इनपुट-भाषा