वाशिंगटन: शीर्ष अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई अफगान नीति और आतंकी संगठनों को समर्थन देने के लिए पाकिस्तान के प्रति सख्त रूख का आज स्वागत किया। उन्होंने इसे एक बड़ा कदम बताया। ट्रंप ने राष्ट्र के नाम प्राइम टाइम पर अपने संबोधन में अमेरिका की सबसे लंबी चली लड़ाई को खत्म करने के लिए अफगानिस्तान से जल्दबाजी में सैनिक हटाने की संभावना से इनकार कर दिया था। उन्होंने आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया करवाने पर पाकिस्तान को इसके परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी और युद्धग्रस्त देश में अमन कायम करने की खातिर भारत से और बड़ी भूमिका निभाने की अपील की थी।
उन्होंने दक्षिण एशिया नीति का ब्यौरा देते हुए कहा कि इसका महत्वपूर्ण हिस्सा भारत के साथ अमेरिकी सामरिक साझोदारी को और विकसित करना है। अमेरिकी सीनेटर जॉन मैकेन ने कहा कि उनका मानना है कि राष्ट्रपति का रूख पूर्ववर्ती प्रशासन की हार को टालते रहने की नाकाम रणनीति से काफी अलग है। मैकेन ने कहा, यह खासतौर पर महत्वपूर्ण है कि नई घोषित रणनीति में सैनिकों को वापस बुलाने की कोई समयसीमा नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि भविष्य में हमारी प्रतिबद्धता को कम करने का कोई भी फैसला जमीनी हालात पर निर्भर करेगा। राष्ट्रपति द्वारा इस नए प्रयास को एकीकृत क्षेत्रीय रणनीति के तौर पर तैयार करना भी सही है।
मैकेन सीनेट आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन हैं। उन्होंने एक वक्तव्य में कहा, अफगानिस्तान के लिए नई रणनीति के साथ सही दिशा में बड़ा कदम उठाने के लिए मैं राष्ट्रपति ट्रंप की सराहना करता हूं। यह सच में दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस रणनीति की लंबे समय से जरूरत थी और इस बीच तालिबान ने जमीन पर पकड़ मजबूत कर ली। सीनेट इंडिया कॉकस के सहअध्यक्ष सीनेटर जॉन कॉरने ने कहा कि ट्रंप का भाषण भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान को लेकर आगे की रणनीति के बारे में है। हालांकि डेमोक्रेटिक सीनेटर क्रिस मर्फी नई नीति को लेकर आशंकित नजर आए। उन्होंने ट्वीट किया, आप ऐसी रणनीति की घोषणा नहीं कर सकते कि जो पाकिस्तान, भारत, अफगानिस्तान के साथ जटिल कूटनीति पर निर्भर करती हो, वह भी ऐसे समय जब आप राजनयिकों को हटा रहे हों।