वाशिंगटन। अमेरिका में नौ प्रभावशाली सांसदों ने भारत के खिलाफ चीन की हालिया सैन्य आक्रामकता पर चिंता जताते हुए प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें चीन से अपील की गई है कि वह बल के बजाए मौजूदा राजनयिक तंत्रों के जरिए सीमा पर तनाव को कम करने के लिए काम करे। भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति के नेतृत्व में भारतीय अमेरिकी सांसद रो खन्ना, सांसदों फ्रैंक पैलोने, टोसुओजी, टेड योहो, जॉर्ज होल्डिंग, शीला जैक्सन-ली, हैली स्टीवन्स और स्टीव चाबोट ने प्रस्ताव पेश किया।
प्रस्ताव में कहा गया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास 15 जून तक कई महीनों पहले से चीनी सैन्य बलों ने कथित रूप से 5,000 जवानों को एकत्र किया और वह बल प्रयोग एवं आक्रामकता के जरिए उन सीमाओं को बदलने की कोशिश कर रहा है जो काफी समय पहले ही तय की जा चुकी हैं। प्रस्ताव में इस बात का जिक्र किया गया है कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास तनाव कम करने और बलों के पीछे हटने को लेकर सहमति बन गई है। इसमें कहा गया है कि पूर्वी लद्दाख में कई सप्ताह चले गतिरोध के बाद हुए 15 जून को हुए टकराव में कम से कम 20 भारतीय सैन्यकर्मियों की जान चली गई और अपुष्ट संख्या में चीनी जवान भी मारे गए।
प्रस्ताव में कहा गया है, 'चीन सरकार को भारत के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने की दिशा में बल प्रयोग के बजाए मौजूदा राजनयिक तंत्रों के माध्यम से काम करना चाहिए।' इससे कुछ ही दिन पहले, अमेरिका के एक प्रभावशाली द्विदलीय संसदीय समूह ने कहा था कि चीन सीमा पर यथास्थिति बदलने और भारतीय सेना को चुनौती देने के लिए उसके साथ किए समझौतों के विपरीत काम कर रहा है और उसने उम्मीद जताई थी कि बीजिंग वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अत्यधिक हथियारों तथा बुनियादी ढांचे को कम करेगा।
भारत और भारतीय अमेरिकियों पर संसदीय समूह ने गलवान घाटी में भारतीय जवानों के शहीद होने की घटना पर भी शोक जताया था। भारत और चीन की सेना के बीच पैंगोंग सो, गलवान घाटी और गोगरा हॉट स्प्रिंग समेत पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में गतिरोध चल रहा है। पिछले महीने गलवान घाटी में झड़पों में 20 भारतीय सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बाद हालात बिगड़ गए थे।