वाशिंगटन। अमेरिका के शीर्ष सांसदों ने चीनी दूरसंचार कंपनियों को 5जी परीक्षण में शामिल होने का मौका नहीं देने के भारत के फैसले की सराहना की है। भारत के दूरसंचार विभाग ने मंगलवार को रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफान आइडिया और एमटीएनएल के 5जी परीक्षण करने के आवेदनों को मंजूर कर लिया लेकिन इनमें से कोई भी चीनी कंपनियों की प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नहीं करेंगी।
विदेश मामलों से जुड़ी प्रतिनिधि सभा की समिति के अग्रणी रिपब्लिकन सांसद और चीनी कार्यबल के अध्यक्ष माइकल मैककॉल ने बुधवार को एक बयान में कहा, ‘‘हुवावेई और जेडटीई को 5जी परीक्षण से बाहर रखने का भारत का फैसला भारत और दुनिया के लोगों के लिए अच्छी खबर है। ’’ मैककॉल ने कहा, ‘‘चीन के कानून के तहत हुवावेई और जेडटीई समेत किसी भी चीनी कंपनी को आदेश मिलने पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए काम करना होता है।’’
गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व वाले पिछले अमेरिकी प्रशासन ने चीनी कंपनियों को राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा पैदा करने वाली कंपनियों की सूची में डाल दिया था। अमेरिकी अपने मित्र और सहयोगी देशों से भी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के नियंत्रण वाली कोई भी तकनीक न चुनने की अपील कर रहा है। मैककॉल ने कहा, "जब तक इन कंपनियों को हमारे नेटवर्क से बाहर न किया जाए तब तक यह एक ऐसा खतरा बना रहेगा जो कम नहीं हो सकता और मुझे खुशी है कि भारत ने इस खतरे को पहचाना। भारत ने एक बार फिर साबित किया कि वह सीसीपी द्वारा नियंत्रित तकनीक से पैदा होने वाले सुरक्षा खतरों के लड़ने में क्यों एक वैश्विक अगुआ है।"
सांसद माइक वाल्ट्ज ने भी इस फैसले को लेकर भारत का आभार जताया। उन्होंने कहा, ‘‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा संचालित हुवावेई को दूरसंचार क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देने के लिए भारत का शुक्रिया।’’ वाल्ट्ज ने कहा, ‘‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नाते, चीन का सामना करने और हमारी आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में भारत महत्वपूर्ण सहयोगी होगा।’’ सीनेटर मार्को रुबियो ने ट्विटर पर लिखा कि भारत ने चीन की सरकार द्वारा निर्देशित हुवावेई और जेडटीई जैसी कंपनियों को अपने 5जी परीक्षण से बाहर रखने का सही कदम उठाया।