वाशिंगटन: अमेरिका ने ईरान में विकसित किए जा रहे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह और इसे अफगानिस्तान से जोड़ने वाली रेलवे लाइन के निर्माण के लिए भारत को कुछ प्रतिबंधों से छूट दे दी है। ट्रंप प्रशासन का यह फैसला दिखाता है कि ओमान की खाड़ी में विकसित किए जा रहे इस बंदरगाह में भारत की भूमिका को अमेरिका मान्यता देता है।
इसे इस तरह समझा जा सकता है कि एक दिन पहले ही ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाए और छूट देने में उसका रुख बेहद सख्त है। यह बंदरगाह युद्ध ग्रस्त अफगानिस्तान के विकास के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि गहन विचार के बाद विदेश मंत्री ने 2012 के ईरान स्वतंत्रता एवं प्रसार रोधी अधिनियम के तहत लगाए गए कुछ प्रतिबंधों से छूट देने का प्रावधान किया है जो चाबहार बंदरगाह के विकास, उससे जुड़े एक रेलवे लाइन के निर्माण और बंदरगाह के माध्यम से अफगानिस्तान के इस्तेमाल वाली, प्रतिबंध से अलग रखी गई वस्तुओं के नौवहन से संबंधित है। साथ ही यह ईरान के पेट्रोलियम उत्पादों के देश में निरंतर आयात से भी जुड़ा हुआ है।
दरअसल, भारत को ईरान में चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए मिली छूट अगस्त महीने में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा दक्षिण एशियाई रणनीति से प्रेरित है। इसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान में शांति और विकास की वापसी में भारत की बड़ी भूमिका है।
बता दें कि अमेरिका ने 5 नवंबर को ईरान के 'बर्ताव' में बदलाव लाने के मकसद से अब तक का सबसे कठोर प्रतिबंध लागू करने का ऐलान किया। ईरान के बैंकिंग एवं ऊर्जा क्षेत्र प्रतिबंधों के दायरे में आ चुके हैं। लागू प्रतिबंध के मुताबिक, उन यूरोपीय, एशियाई एवं अन्य देशों तथा कंपनियों पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है जो ईरान से तेल आयात करेंगे।
हालांकि, विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा कि आठ देश- भारत, चीन, इटली, ग्रीस, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान और तुर्की- को ईरान से तेल आयात की अस्थायी छूट दी गई है क्योंकि उन्होंने ईरान से तेल खरीद में बड़ी कटौती की है।