वॉशिंगटन: अमेरिका ने चीन के उन अधिकारियों पर एक कड़ा फैसला लिया है जो उसके नागरिकों, पत्रकारों औऱ सरकारी अधिकारियों को तिब्बत नहीं जाने देते। अमेरिकी कांग्रेस ने एक अहम विधेयक पारित किया है जिसमें चीन के ऐसे अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है। अमेरिका ने निर्वासित तिब्बती नेता दलाई लामा के पूर्व गृहक्षेत्र में कथित धार्मिक उत्पीड़न के मुद्दे पर रिपोर्टिंग के लिए अमेरिकी पत्रकारों, राजनयिकों, शिक्षाविदों और अन्य को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में प्रवेश नहीं देने पर पहले भी चिंता जताई है।
यह विधेयक सर्वसम्मति से ऐसे समय में पारित किया गया है जब ट्रंप प्रशासन चीन पर बड़े व्यापारिक आयात शुल्क लगा रहा है जिससे चीन की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ना शुरू हो गया है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में मंगलवार को ‘रेसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत ऐक्ट’ पारित किया गया जिसमें यह सुनिश्चित करने की मांग की गई है कि अमेरिकी नागरिकों को भी तिब्बत में उसी तरह जाने दिया जाए जैसे कि अमेरिका में चीनी नागरिकों को जाने दिया जाता है।
भारतीय अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने सदन में कहा, ‘द रेसिप्रोकल एक्सेस टू द तिब्बत ऐक्ट निष्पक्षता, मानवाधिकारों और सतर्क अमेरिकी कूटनीति के बारे में है। लंबे समय से चीन ने तिब्बत में जाने से पाबंदी लगा रखी है, पत्रकारों को तिब्बत में मानवाधिकार उल्लंघनों की रिपोर्टिंग करने और तिब्बती अमेरिकियों को उनके देश में जाने से रोक कर रखा गया है।’
उन्होंने कहा कि यह विधेयक इस विचार पर आधारित है कि कूटनीति के कानून के तहत आप जैसा व्यवहार करेंगे, बदले में वैसा ही पाएंगे। अगर चीनी अधिकारियों, पत्रकारों और अन्य नागरिकों को अमेरिका में आजादी से यात्रा करने की अनुमति है तो अमेरिकी नागरिकों को भी ऐसी ही अनुमति मिले। विधेयक के मुख्य लेखक कांग्रेस सदस्य जिम मैकगवर्न ने कहा, ‘इस विधेयक में तिब्बत के इलाकों में यात्रा करने से रोकने वाले चीनी अधिकारी अमेरिका में रहने या वीजा हासिल करने से अयोग्य हो जाएंगे।’