वाशिंगटन: अमेरिकी प्रशासन उस व्यक्ति की पहचान करने की कोशिश कर रहा है, जिसने कैलिफोर्निया और जॉर्जिया की मस्जिदों में धमकी भरे खत भेजे थे जबकि अमेरिकी एजेंसी एफबीआई ने कहा है कि खत में कोई स्पष्ट धमकी नहीं है और यह नस्ली घृणा का अपराध नहीं बनता है। लॉस एंजिलिस में एफबीआई के आतंकवाद निरोधक डिविजन के प्रमुख स्टीफन वुलरी ने कहा है कि हाथ से लिखे गए संदेश में कोई स्पष्ट धमकी नहीं है और इसलिए यह नस्ली घृणा का अपराध नहीं बनता है।
वुलरी ने संवाददाताओं से कहा, खत में कोई खास धमकी नहीं है। खत में सीधे तौर पर किसी हिंसा की धमकी नहीं दी गई है लेकिन एफबीआई इसकी जांच कर रहा है। इस संवाददाता सम्मेलन में अन्य एजेंसियों के कानून प्रवर्तन अधिकारी और मुस्लिम नेताओं ने भी हिस्सा लिया था। सभी खत एक ही तरह के हैं और इसमें मुस्लिमों से कहा गया है कि उनके हिसाब-किताब का दिन आ गया है, खत में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रशंसा की गई है।
खत में लिखा है, शहर में नया कानून प्रवर्तक आ गया है-राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। वह अमेरिका को साफ करने जा रहा है और उसे दोबारा चमका देगा। और वह इसकी शुरुआत तुम मुसलमानों से करने जा रहा है। खत पर हस्ताक्षर अमेरिकन्स फॉर बेटर वे का है। खत में कहा गया है कि ट्रंप मुस्लिमों के साथ वही करने जा रहे हैं जो हिटलर ने यहूदियों के साथ किया था। लॉस एंजिलिस पुलिस विभाग के कमंाडर होरेस फ्रैंक का कहना है, हमें पता है कि उन्होंने कहां से खत भेजा है। हमें विश्वास है कि खत भेजने वाले व्यक्ति की पहचान करने में हम सफल होंगे।