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अमेरिका ने चीन की कंपनी को कहा ‘चोर’, दोनों देशों के बीच और भड़क सकता है मामला

अमेरिकी प्रशासन ने चीन की टेलीकॉम कपंनी ‘Huawei’ पर व्यापार संबंधी खुफिया जानकारी चुराने का आरोप लगाया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : January 29, 2019 10:08 IST
United States unseals charges against Huawei and its CFO Meng Wanzhou | AP File
Xi Jinping and Donald Trump | AP File

वॉशिंगटन: अमेरिकी प्रशासन ने चीन की टेलीकॉम कपंनी ‘Huawei’ पर व्यापार संबंधी खुफिया जानकारी चुराने का आरोप लगाया है। इसके अलावा इस कंपनी पर अमेरिका ने ईरान पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करने का भी इल्जाम लगाया है। ये आरोप ऐसे समय में लगाए गए हैं जब अमेरिका और चीन के बीच 30 और 31 जनवरी को व्यापार वार्ता होने वाली है। बहरहाल व्हाइट हाउस ने सोमवार को इन दोनों घटनाओं के बीच किसी भी तरह का संबंध होने की बात को नकार दिया।

अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने वावे (Huawei) और उसकी मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) मेंग वानझोऊ पर वित्तीय धोखाधड़ी सहित 13 आरोप लगाए हैं। कंपनी के संस्थापक की बेटी मेंग अभी जमानत पर है। वह कनाडा में हैं। इस मामले से ओटावा और बीजिंग के बीच भी व्यापक तनाव उत्पन्न हो गया है और वॉशिंगटन इसके बीच में है। वावे, उसकी CFO और अन्य कर्मियों पर ईरान में वावे की व्यावसायिक गतिविधियों के बारे में कई वैश्विक वित्तीय संस्थानों और अमेरिकी सरकार को धोखा देने का आरोप भी लगाया गया है। कार्यवाहक अटॉर्नी जनरल मैथ्यू जी व्हाइटेकर ने सोमवार को कहा, ‘आज हम टेलीकॉम कंपनी वावे और उससे जुड़े करीब 20 से अधिक लोगों के खिलाफ आरोप लगाने की घोषणा करते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘जैसा कि मैंने चीनी अधिकारियों से अगस्त में कहा था, चीन को कानून का पालन करने के लिए अपने नागरिकों और चीनी कंपनियों को जवाबदेह बनाना चाहिए।’ इसके अलावा सिएटल में वावे डिवाइस कंपनी के खिलाफ व्यापार संबंधी खुफिया जानकारी चुराने सहित वायर धोखाधड़ी के सात आरोप और न्याय में बाधा डालने के संबंध में एक आरोप दर्ज किया गया है। आरोपों के अनुसार वावे ने यह चोरी 2012 में शुरू की थी। खुफिया मामलों पर सीनेट की चयन समिति के उपाध्यक्ष सीनेटर मार्क वॉर्नर ने ट्रंप प्रशासन की सराहना की और अमेरिका से चीन की IP चोरी को व्यापार वार्ता में प्राथमिकता देने का आग्रह किया।

गौरतलब है कि यूरोपीय संघ में चीन के राजदूत ने सोमवार को कहा था कि चीन की प्रौद्योगिकी कंपनी वावे, पश्चिम की सरकारों द्वारा उसके खिलाफ ‘झूठी अफवाहें’ फैलाए जाने का शिकार बनी है। यह पश्चिमी देशों की सरकारों की वावे के दुनियाभर में अपनी प्रौद्योगिकी को स्थापित करने से रोकने की कोशिश है। दूसरी ओर, अमेरिका, फ्रांस और अन्य पश्चिमी देशों ने अंदेशा जताया था कि वावे के बेस स्टेशन एवं अन्य उपकरण चीन को दुनियाभर के अहम नेटवर्क बुनियादी ढांचे तक पहुंच प्रदान कर सकते है। संभावना है कि इससे चीन को दूसरे देशों की सरकारों की निगरानी करने का मौका मिल जाए।

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