संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फिलीस्तीन पर दो प्रस्तावों पर वोटिंग के दौरान इस्राइल के बचाव में अमेरिका पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गया। इनमें से एक प्रस्ताव कुवैत ने पेश किया जबकि अमेरिका ने उसके विरोध में प्रस्ताव पटल पर रखा। सुरक्षा परिषद में इन दोनों प्रस्तावों पर वोटिंग हुई। इस दौरान अमेरिका के निकटतम सहयोगियों ने भी अमेरिका का साथ छोड़ दिया जबकि संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि निकी हेली ने कुवैत की ओर से पेश प्रस्ताव पर वीटो कर दिया और उसके विरोध में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसे सिर्फ एक ही वोट मिला।
इस दौरान सुरक्षा परिषद में हमास का मुद्दा छाया रहा। निकी ने कहा कि गाजा में हिंसा के लिए हमास की निंदा की जानी चाहिए। कुवैत के मसौदा प्रस्ताव में पिछले महीने गाजा सीमा के पास फिलीस्तीनी प्रदर्शनकारियों पर इस्राइली सेना द्वारा बलप्रयोग की निदा करने की मांग की गई। इस प्रस्ताव के पक्ष में 10 वोट पड़े जबकि अमेरिका ने इसके विरोध में वीटो कर दिया। वहीं, इथियोपिया, नीदरलैंड्स, पोलैंड और ब्रिटेन वोटिंग से दूर रहे। हेली ने गाजा में संघर्ष के लिए 'आतंकवादी संगठन हमास' को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह प्रस्ताव एकतरफा है क्योंकि इसमें सिर्फ इस्राइल को जिम्मेदार ठहराया गया है।
हेली ने कुवैत के प्रस्ताव के विरोध में प्रस्ताव पेश किया, जिसमें हमास का आतंकवादी संगठन के तौर पर उल्लेख किया गया और गाजा में फिलीस्तीनी सेना द्वारा इस्राइल की ओर अंधाधुंध रॉकेट दागे जाने की निंदा की गई। अमेरिका के इस प्रस्ताव के पक्ष में सिर्फ खुद उन्होंने ही वोट दिया जबकि कुवैत, रूस और बोलीविया ने इसके विरोध में वोट किया और बाकी 11 देश इससे दूर रहे। हेली ने कहा, ‘यह अब स्पष्ट है कि संयुक्त राष्ट्र इस्राइल को लेकर पक्षपाती है। अमेरिका इस तरह के पक्षपात की अनुमति नहीं देगा।’
संयुक्त राष्ट्र में कुवैत के स्थाई प्रतिनिधि मंसूर अय्यद अलोतैबी ने इस प्रस्ताव को पेश करने से पहले परिषद के सदस्यों के साथ कई दिनों तक चर्चा की थी। हालांकि, वह इस प्रस्ताव को लेकर पर्याप्त समर्थन बटोरने में कामयाब रहे थे लेकिन वह अमेरिका को इस पर वीटो करने से नहीं रोक सके। इसके विपरीत हेली ने अमेरिकी प्रस्ताव पेश करने से पहले सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों से चर्चा नहीं की थी। परिषद में फ्रांस के स्थाई प्रतिनिधि फ्रांसिस डेलाट्रे ने कहा कि अमेरिकी प्रस्ताव बिना किसी चर्चा के पेश हुआ और इसमें फिलीस्तीन संघर्ष को लेकर संतुलित रुख नहीं झलकता।