वॉशिंगटन: अमेरिका ने शुक्रवार को 3 लैटिन अमेरिकी देशों के राजदूतों को वापस बुला लिया है। इन तीनों देशों ने हाल ही में ताइवान के बजाय चीन से अपने राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए हैं। अमेरिका ने कहा है कि वह राजनयिकों से बातचीत करेगा। आपको बता दें कि चीन और ताइवान के बीच संबंध अक्सर बेहद तानवपूर्ण रहते हैं। चीन हमेशा अपना तावा ताइवान पर जताता रहता है। इन तीन देशों द्वारा अपने कदम वापस खींच लेने के बाद अब ताइवान के सिर्फ 17 देशों के साथ आधिकारिक संबंध रह गए हैं। ये तीन देश डोमिनिकन रिपब्लिक, अल सल्वाडोर और पनामा हैं।
आपको बता दें कि इन 17 देशों में से अधिकांश मध्य अमेरिका और प्रशांत क्षेत्र के छोटे-छोटे देश हैं। ताजा मामले की बात करें तो यह कदम तब उठाया गया है जब अमेरिका ने चीन पर पिछले महीने ताइवान-चीन संबंधों को अस्थिर करने तथा पश्चिमी गोलार्द्ध में ताइवान के सहयोगियों के जरिए ‘राजनीतिक हस्तक्षेप’ के अभियान में शामिल होने का आरोप लगाया था। एक बयान में शुक्रवार को कहा गया, ‘विदेश विभाग ने डोमिनिकन रिपब्लिक में अमेरिका के राजदूत रॉबिन बर्नस्टीन, अल सल्वाडोर में अमेरिकी राजदूत जीन मानेस और पनामा में अमेरिका के प्रतिनिधि रॉक्सेन कैब्रल को वापस बुला लिया।’
इसमें कहा गया है, ‘हमारे मिशन के तीन प्रमुख, अमेरिकी सरकार के नेताओं से मुलाकात करेंगे ताकि उन तरीकों पर चर्चा की जा सके जिससे अमेरिका मजबूत, स्वतंत्र, लोकतांत्रिक संस्थानों तथा मध्य अमेरिका और कैरिबियाई के जरिए अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन कर सके।’ चीन, ताइवान पर अपना दावा जताता है इसलिए वह राजनयिक मिशनों को अपने देश में स्थानांतरित करने की कवायद में लगा रहता है। अमेरिका के भी ताइवान के साथ राजनयिक संबंध नहीं हैं लेकिन वह उसका अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सबसे बड़ा समर्थक माना जाता है।