वॉशिंगटन: अमेरिका पेरिस समझौते में शुक्रवार को आधिकारिक तौर पर फिर से शामिल हो गया है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन ने एक बयान जारी कर कहा है कि वह अब दुनिया के देशों के साथ मिलकर काम करने को उत्सुक हैं। बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने इस समझौते से हटने की घोषणा 2019 में की थी, लेकिन यह अमेरिका में हुए हालिया चुनावों के एक दिन बाद 4 नवंबर 2020 से प्रभावी हुआ था। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कार्यभार संभालते ही ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ कम करने की वैश्विक लड़ाई में अमेरिका को फिर से शामिल करने का फैसला किया था।
ब्लिंकेन ने कहा, हम दुनिया को फिर से संगठित कर रहे हैं
शुक्रवार को जारी किए बयान में ब्लिंकेन ने कहा, ‘पेरिस समझौता वैश्विक स्तर पर पर्यावरण को बचाने के लिए कार्रवाई का अभूतपूर्व ढांचा है। हम इस बात को इसलिए जानते हैं क्योंकि हमने इसे डिजाइन करने और इसे वास्तविक बनाने में मदद की थी।’ ब्लिंकेन नए अपने बयान में कहा कि हम सभी मोर्चों पर दुनिया को फिर से संगठित कर रहे हैं, जिसमें राष्ट्रपति का 22 अप्रैल को नेताओं के जलवायु शिखर सम्मेलन में शामिल होना भी है। उन्होंने कहा कि आगे हम COP26 को सफल बनाने के लिए यूनाइटेड किंगडम और दुनिया भर के अन्य देशों के साथ काम करने के लिए बहुत उत्सुक हैं।
पेरिस समझौते में शामिल हैं दुनिया के कुल 195 देश
इससे पहले कार्यभार संभालते ही बाइडेन द्वारा पेरिस समझौते पर वापस लौटने की घोषणा को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने बहुत ही महत्वपूर्ण बताया था। बाइडन ने शपथ ग्रहण करने के कुछ घंटे बाद ही ‘पेरिस जलवायु’ समझौते में अमेरिका को पुन: शामिल करने के लिए एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए और अपने एक बड़े चुनावी वादे को पूरा किया। पेरिस समझौते में शामिल 195 देशों और अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं के लिए कार्बन प्रदूषण को कम करने और उनके जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन की निगरानी करने तथा उसकी जानकारी देने का लक्ष्य रखा गया है। चीन के बाद अमेरिका दुनिया का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है।