वॉशिंगटन: अमेरिका ने शुक्रवार को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के प्रमुख मौलाना फजलुल्लाह की सूचना देने पर 50 लाख डॉलर (लगभग 32.5 करोड़ रुपये) इनाम देने की घोषणा की। फजलुल्लाह ही वह आतंकी सरगना है जिसने मलाला युसुफजई को मारने का फरमान सुनाया था। सूचना के आधार पर फजलुल्लाह की गिरफ्तारी होने पर यह इनामी राशि दी जाएगी। तहरीक- ए- तालिबान पाकिस्तान एक आतंकवादी संगठन है जो पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी हमलों को अंजाम देता है। न्याय के एवज में इनाम कार्यक्रम के तहत अमेरिका ने जमात- उल- अहरार के अब्दुल वली और लश्कर- ए- इस्लाम केनेत मंगल बाग की सूचना देने के लिए भी 30-30 लाख डॉलर (लगभग 19.5 करोड़ रुपये) देने की घोषणा की।
जमात-उल-अहरार वह आतंकी संगठन है जो TTP से अलग हो गया है जबकि लश्कर-ए-इस्लाम पाकिस्तान के खैबर ट्राइबल एजेंसी में है और उसके आस-पास के इलाकों में सक्रिय है। पाकिस्तान की विदेश सचिव तहमीना जंजुआ के व्हाइट हाउस तथा विदेश मंत्रालय समेत ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठकें करने के बाद यह घोषणा की गई। विदेश मंत्रालय ने कहा कि TTP पूर्वी अफगानिस्तान के जनजातीय इलाकों में सक्रिय एक आतंकवादी संगठन है। इसके अल- कायदा से नजदीकी रिश्ते रहे हैं। नवंबर2013 में TTP के केंद्रीय शूरा काउंसिल द्वारा नियुक्त किए जाने के बाद से फजलुल्लाह ने पाकिस्तानी हितों के खिलाफ कई हमले करवाए और अमेरिका पर समूह के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने के खुलेआम आरोप लगाए।
दिसंबर 2014 में फजलुल्लाह के साथियों ने पाकिस्तानी इतिहास के सबसे घातक आंतकवादी घटना को अंजाम दिया जब आतंकवादियों ने पाकिस्तान के पेशावर में एक आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला किया। इस घटना में 130 से ज्यादा बच्चों समेत151 लोग मारे गए थे। विदेश मंत्रालय ने बताया कि वर्ष 2012 में फजलुल्लाह ने पाकिस्तानी स्कूल छात्रा और सामाजिक कार्यकर्ता मलाला युसुफजई के अपहरण का आदेश दिया थ, हालांकि यह साजिश नाकाम हो गई थी। मलाला ने TTP और फजलुल्लाह की खुलेआम आलोचना की थी और लड़कियों की शिक्षा के अधिकार का प्रचार किया था।
अब्दुल वली अफगानिस्तान के नंगरहार और कुनार प्रांत सेअपनी गतिविधयां चलाता है। वली के नेतृत्व में जमात-उल-अहरार पंजाब प्रांत में TTP के सबसे सक्रिय नेटवर्क में से एक है जिसने पूरे पाकिस्तान में कई हमलों और आत्मघाती हमलों की जिम्मेदारी ली है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक मंगल बाग और उसका समूह मादक पदार्थों की तस्करी, अपहरण, नाटो के काफिलों पर छापेमारी और पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान के बीचसीमा पार से होने वाले व्यापार पर लगने वाले टैक्स से पैसा कमाते हैं।