वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीमित परिस्थितियों को छोड़कर सेना में अधिकतर ट्रांसजेंडर्स की भर्ती पर औपचारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस द्वारा निर्धारित नीतियों पर तैयार मेमो को शुक्रवार रात को जारी किया गया, जिसमें कहा गया है कि सीमित परिस्थितियों को छोड़कर ट्रांस्जेंडर्स सेना में सेवा देने के लिए अयोग्य हैं। सिएटल के अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में दायर इस मेमो के मुताबिक, सीमित परिस्थितियों को छोड़कर जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित ट्रांस्जेंडर्स को सेना में भर्ती नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि डिस्फोरिया से पीड़ित शख्स को दवाओं और सर्जरी समेत व्यापक चिकित्सा की जरूरत होती है।
हालांकि, इस नीति के क्रियान्वयन में मैटिट्स ने कुछ छूट दी है, जैसे कोस्ट गार्ड में भर्ती के दौरान इस तरह की कोई सीमा लागू नहीं होगी। मेमो के मुताबिक, दो शीर्ष अधिकारी सैन्य भर्तियों से संबंधित उचित नीतियों को क्रियान्वित करने में अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। LGBT समुदाय के समर्थकों ने तुरंत ही सरकार के इस कदम की निंदा की। इससे पहले पिछले साल ट्रंप ने ट्रांसजेंडर्स को सेना में शामिल करने पर रोक लगा दी थी। तब उन्होंने कहा था कि हमारी सेना को निर्णायक और बड़ी जीत पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा था कि अमेरिकी सेना पर ट्रांसजेंडरों की वजह से आने वाली चिकित्सा लागत और परेशानियों का बोझ नहीं डाला जा सकता।
ट्रंप के प्रतिबंध से अमेरिकी सेना में शामिल ट्रांसजेंडर्स का भविष्य अधर में लटक गया। गौरतलब है कि अमेरिकी सेना के 13 लाख कर्मचारियों में से 2,500 से 7,000 कर्मचारी ट्रांसजेंडर्स हैं। ट्रंप के इस फैसले के बाद पिछले साल अमेरिका में बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे। देश के डेमोक्रेटिक नेताओं ने इस कदम को 'क्रूर' और अमेरिका के सैनिकों को 'अपमानित' करने के इरादे से उठाया गया कदम बताया था। प्रतिनिधि सभा की डेमोक्रेटिक नेता नैंसी पेलोसी ने कहा था कि ट्रंप का फैसला राष्ट्रीय रक्षा के इरादे से नहीं है बल्कि सेना से ट्रांसजेंडरों को हटाने से संबंधित इस क्रूर फैसले के पीछे उनका पूर्वाग्रह है।