संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत और चीन समेत कई देशों में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को धमकाया जाता है। इस वैश्विक संस्था के प्रमुख अंतानियो गुतेरेस की एक रिपोर्ट में भारत, चीन, रूस और म्यांमार समेत कई देशों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ये देश दुनिया के उन राष्ट्रों में शामिल हैं जहां मानवाधिकार मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग करने वालों पर बदले की भावना से कार्रवाई किए जाने और उन्हें डराने-धमकाने का दावा किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की नौवीं सालाना रिपोर्ट में देशवार आधार पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ बदले की कार्रवाई के ‘सतर्क करने वाले स्तर’ का ब्योरा दिया गया है। इन कार्रवाइयों में हत्या, प्रताड़ना और मनमानी गिरफ्तारी आदि शामिल हैं। रिपोर्ट में 38 देशों में बदले की कार्रवाई किए जाने और डराने- धमकाने का आरोप लगाया गया है। इनमें से कुछ देश संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सदस्य भी हैं। इस रिपोर्ट को अगले हफ्ते मानवाधिकार परिषद के समक्ष आधिकारिक रूप से पेश करने से पहले सहायक मानवधिकार प्रमुख एंड्रीयू गिलमोर ने कहा कि इन मामलों का रिपोर्ट में बयोरा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि हम सिविल सोसाइटी को डराने-धमकाने और चुप कराने के लिए कानूनी, राजनीतिक तथा प्रशासनिक कार्रवाइयों में वृद्धि होते देख रहे हैं। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि चुनिंदा कानून और नये विधान संगठनों के संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग करने की राह में अड़चने डाल रहे हैं। इन संगठनों को मिलने वाले विदेशी चंदे की राशि को सीमित किया जा रहा है। रिपोर्ट में भारत के संदर्भ में कहा गया है कि नवंबर 2017 में दो विशेष कार्यप्रणाली अधिकार धारकों ने गैर सरकारी संगठनों का कामकाज रोकने के लिए विदेशी चंदा नियमन अधिनियम, 2010 के इस्तेमाल पर चिंता जताई।
ये संगठन संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग करना चाहते थे। उदाहरण के तौर पर इनके लाइसेंस का नवीकरण करने से इनकार कर दिया गया। इसमें सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ सोशल कंसर्न (CPSC) के कार्यकारी निदेशक हेनरी तिपागने और सेंटर फॉर सोशल डेवलपमेंट एवं इसके सचिव एन. उरीखीमबाम के मामलों का जिक्र किया गया है। इसमें सेंट्रल जम्मू ऐंड कश्मीर कोलेशन ऑफ सिविल सोसाइटी के कार्यक्रम समन्वयक खुर्रम परवेज का भी जिक्र है।