संयुक्त राष्ट्र: बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की 127वीं जयंती पर संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया में असमानता के खिलाफ उनके संघर्ष और समग्रता की उनकी प्रेरणा को रेखांकित किया। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के निदेशक अचिम स्टीनर ने अपने संबोधन में कहा कि आंबेडकर की विरासत संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में रोजाना दुष्कर कार्य के संचालन में देखने को मिलती है। उन्होंने कहा, ‘हम दुनिया के विरोधाभास में उसी प्रकार जकड़े हुए हैं और उसका सामना कर रहे हैं, जिस प्रकार डॉ. आंबेडकर अपने समय में कर रहे थे।’
संयुक्त राष्ट्र में तीसरी बार आंबेडकर जयंती मनाई गई, जिसकी थीम 'कोई पिछड़ा न रहे' थी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि आंबेडकर भारत की विदेश नीति की पहलों के मार्गदर्शक हैं, जिसके तहत अत्यल्प विकसित देशों और छोटे द्वीपों को 2030 में संयुक्त राष्ट्र के विकास के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए सहायता प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि भारत संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी कोष में 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता के साथ इन राष्ट्रों के विकास को प्रोत्साहन प्रदान करता है। विकासशील देशों के समूह को अतिरिक्त संसाधन आवंटित करने के लिए राष्ट्रमंडल की खिड़की खुली हुई है।
राजनयिकों ने केन्या जैसे दूरस्थ देशों में आंबेडकर के प्रभावों का जिक्र किया। केन्या के यूएन मिशन के मिनिस्टर काउंसलर जेम्स एनदिरांगु वावेरु ने कहा कि उनके देश के 2010 के संविधान में सकारात्मक कार्य के तत्व आंबेडकर की प्रेरणा से शामिल किए गए हैं। बांग्लादेश के स्थाई प्रतिनिधि मसूद बिन मोमेन ने कहा, ‘हमारे बीच अनेक लोगों ने आंबेडकर के जीवन व शिक्षा से सीखा है। वह जीवनर्पयत भेदभाव का विरोध व सामाजिक समावेश के लिए संघर्ष करने वाले दक्षिण एशिया के मसीहा थे।’ नेपाल के उप प्रतिनिधि निर्मल राज काफले ने कहा कि उनके देश में 10 साल की संविधान निर्माण प्रक्रिया में सचमुच आंबेडकर सही मायने में प्रेरणा के स्रोत रहे हैं।