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VIDEO: भारत ने कहा- हिंदुओं, सिखों, बौद्धों के खिलाफ हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र की आवाज नहीं निकलती

भारत ने धर्मों के खिलाफ हिंसा की निंदा करने में संयुक्त राष्ट्र के चुनिंदा रुख की आलोचना करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा बौद्धों, हिंदुओं और सिखों के खिलाफ बढ़ती नफरत और हिंसा को पहचानने में नाकाम रही है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 03, 2020 18:23 IST
Hindus, Sikhs, Buddhists, Hindus UNGC, Sikhs UNGC, Buddhists UNGC, Hindus United Nations- India TV Hindi
Image Source : TWITTER.COM/INDIAUNNEWYORK भारत ने धर्मों के खिलाफ हिंसा की निंदा करने में संयुक्त राष्ट्र के चुनिंदा रुख की कड़ी आलोचना की है।

संयुक्त राष्ट्र: भारत ने धर्मों के खिलाफ हिंसा की निंदा करने में संयुक्त राष्ट्र के चुनिंदा रुख की आलोचना करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा बौद्धों, हिंदुओं और सिखों के खिलाफ बढ़ती नफरत और हिंसा को पहचानने में नाकाम रही है। भारत ने रेखांकित किया कि शांति की संस्कृति केवल ‘इब्राहीमी धर्मों’ के लिए नहीं हो सकती। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव आशीष शर्मा ने ‘शांति की संस्कृति’ पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि आज की दुनिया में ‘चिंताजनक चलन’ देखने को मिला है।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र को बुरी तरह सुनाया

आशीष शर्मा ने कहा कि भारत इस बात से पूरी तरह सहमत है कि यहूदी, इस्लाम और ईसाई विरोधी कृत्यों की निंदा करने की आवश्यकता है और देश भी इस प्रकार के कृत्यों की कड़ी निंदा करता है, लेकिन इस प्रकार के महत्वपूर्ण मामलों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव केवल इन्हीं 3 इब्राहीमी धर्मों के बारे में बात करते हैं। शर्मा ने कहा, ‘यह गरिमामयी संस्था हिंदू, सिख और बौद्ध धर्मों के अनुयायियों के खिलाफ बढ़ती नफरत एवं हिंसा को पहचानने में नाकाम रही है। शांति की संस्कृति केवल इब्राहीमी धर्मों के लिए नहीं हो सकती और जब तक यह चुनिंदा रुख बरकरार है, दुनिया में शांति की संस्कृति वास्तव में फल-फूल नहीं सकती।’


‘धर्म के मामले में यूएन को किसी का पक्ष नहीं लेना चाहिए’
शर्मा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र एक ऐसी संस्था है, जिसे धर्म के मामले में किसी का पक्ष नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘यदि हम वास्तव में चुनिंदा रुख अपनाते हैं’, तो दुनिया अमेरिकी राजनीतिक शास्त्री सैम्युल हटिंगटन के ‘सभ्यताओं का टकराव’ सिद्धांत को सही साबित कर देगी। शर्मा ने संयुक्त राष्ट्र सभ्यता गठबंधन से अपील की कि वह चुनिंदा धर्मों के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए आवाज उठाए। शर्मा ने अफगानिस्तान में कट्टरपंथियों द्वारा बामियान बुद्ध की प्रतिमा को तोड़े जाने, मार्च में युद्ध ग्रस्त देश में गुरुद्वारे पर बमबारी किए जाने, हिंदू एवं बौद्ध मंदिरों को नुकसान पहुंचाए जाने और कई देशों में इन अल्पसंख्यक धर्मों के लोगों के नस्ली सफाए का भी जिक्र किया।

‘हिंदू, बौद्ध और सिखों के खिलाफ हिंसा की भी निंदा हो’
उन्होंने 193-सदस्यीय महासभा में कहा कि बौद्ध, हिंदू और सिख धर्मों के खिलाफ हिंसा जैसे कृत्यों की निंदा होनी चाहिए। शर्मा ने कहा, ‘लेकिन मौजूदा सदस्य देश इन धर्मों के लिए उस तरह से आवाज नहीं उठा रहे, जिस तरह पहले 3 ‘इब्राहीमी’ धर्मों के खिलाफ उठाई जाती है। यह चुनिंदा रुख क्यों?’ उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में बताया कि भारत केवल हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म का ही जन्मस्थल नहीं है, बल्कि यह वह भूमि है, जहां इस्लाम, जैन, ईसाई और पारसी धर्मों की शिक्षाओं ने भी मजबूत जड़ें जमाई हैं और जहां इस्लाम की सूफी परंपरा फली-फूली है। शर्मा ने कहा कि भारत केवल एक संस्कृति नहीं, बल्कि अपने आप में एक सभ्यता है।

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