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कश्मीर पर अपने बयान से पलटा संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र ने अपने उस बयान से कदम वापस खींच लिए है जिसमें उसने कहा था कि भारत और पाकिस्तान में स्थित अपने सैन्य पर्यवेक्षक समूह के जरिए वह कश्मीर के हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है।

Bhasha
Published : August 03, 2016 15:01 IST
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संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र ने अपने उस बयान से कदम वापस खींच लिए है जिसमें उसने कहा था कि भारत और पाकिस्तान में स्थित अपने सैन्य पर्यवेक्षक समूह के जरिए वह कश्मीर के हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है। संरा द्वारा अपने बयान से पलटना असाधारण बात है। उसने स्पष्ट किया है कि नियंत्रण रेखा के पार का इलाका मिशन के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। यह स्पष्टीकरण संरा महासचिव बान की मून के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कल दिया। इसके एक दिन पहले ही संरा प्रमुख के उप प्रवक्ता फरहान हक ने पत्रकारों को बताया था कि संरा अपने निगरानी समूह भारत और पाकिस्तान के संरा सैन्य पर्यवेक्षक समूह :यूएमएमओजीआईपी: के जरिए कश्मीर में हालात पर लगातार निगरानी बनाए रखेगा।

कश्मीर के हालात के बारे में दुजारिक ने कहा था, मैं एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं। वहां मौजूद संरा के निगरानी समूह यूएनएमओजीआईपी का काम नियंत्रण रेखा पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की स्थिति की खबर रखना है। नियंत्रण रेखा के पार का इलाका संरा के इस मिशन के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। दुजारिक से जब यह पूछा गया कि उन्हें इस पर स्पष्टीकरण देने की जरूरत क्यों महसूस हुई तो उन्होंने कहा, क्योंकि मुझे लगा कि यह बताया जाना जरूरी है। इस स्पष्टीकरण से यह तात्पर्य निकलता है कि कश्मीर के हालात और घटनाएं भारत का आंतरिक मामला हैं और यह यूएनएमओजीआईपी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है क्योंकि यह समूह केवल नियंत्रण रेखा पर युद्धविराम के उल्लंघन पर नजर रखता है और उसकी रिपोर्ट देता है। यह समूह जम्मू-कश्मीर में हालात पर निगरानी नहीं रखता।

बान की मून के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक से यह भी पूछा गया कि संरा साइप्रस और पश्चिम एशिया में विवाद सुलझाने की कोशिश कर रहा है तो महासचिव ने कश्मीर विवाद का हल निकालने के प्रयास क्यों शुरू नहीं किए। इस पर दुजारिक ने ज्यादा विस्तार से कुछ बताने के बजाए सिर्फ इतना कहा, मैं यह आप पर और अन्य लोगों पर छोड़ता हूं। आप इसके कारण का विश्लेषण कीजिए। मेरा खयाल है कि कश्मीर की स्थिति से जुड़े प्रश्न हमारे पास पहले भी थे और आज भी हैं लेकिन हमारे जवाब अब भी वही हैं। उनसे पूछा गया कि कश्मीर के हालात पर संरा और इसके महासचिव टिप्पणी करने से बचते क्यों हैं तो दुजारिक ने कहा कि जब भी इस मामले पर प्रश्न पूछे जाते हैं, संरा की ओर से टिप्पणी की जाती है।

उन्होंने कहा, इसलिए मैं नहीं मानता कि हम बचते हैं। कश्मीर घाटी में हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की भारतीय सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड में मौत हो गई थी जिसके बाद 9 जुलाई से घाटी में प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया है। अब तक हुई झड़पों में 50 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि लगभग 5,600 लोग घायल हैं।

सुरक्षा परिषद ने 1971 के प्रस्ताव 307 में जो आदेश दिया है उसके मुताबिक यूएनएमओजीआईपी जम्मू-कश्मीर में दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखाओं और कामकाजी सीमा पर तथा उसकी दोनों ओर युद्धविराम के उल्लंघन पर नजर रखता है। यह उन गतितिविधियों की रिपोर्ट भी देता है जिसके चलते युद्धविराम का उल्लंघन हो सकता है। भारत का कहना है कि शिमला समझौता और नियंत्रण रेखा तय किए जाने के साथ ही यूएनएमओजीआईपी अपना महत्व खो चुका है और अब यह गैरजरूरी हो चुका है। इस साल मार्च तक यूएनएमओजीआईपी में 44 सैन्य पर्यवेक्षक, 25 अंतरराष्ट्रीय नागरिक और 47 स्थानीय नागरिक स्टाफ थे।

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