संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने टीबी से निपटने की जंग को तेज करने के लिए एक वैश्विक योजना बनाने पर शुक्रवार को सहमति जताई जिसके तहत सस्ती दवाओं तक पहुंच के मुद्दे पर अमेरिका से चल रहे विवाद को सुलझाने का भी प्रयास किया जाएगा। संक्रामक रोगों में विश्व में सबसे ज्यादा मौतें टीबी के कारण होती हैं। हफ्तों तक चली मुश्किल बातचीत के बाद अंतिम घोषणापत्र को मंजूर किया गया और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर 26 सितंबर को पहली बार टीबी पर होने वाली शिखर वार्ता में इसे औपचारिक तौर पर अपनाया जाएगा।
जुलाई में सस्ती दवाओं तक गरीब देशों की पहुंच के अधिकार की आवाज दबाने वाले प्रस्तावों को लेकर दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के साथ तीखी नोंकझोंक हुई थी। दोनों देशों के बीच हुई यह जुबानी जंग तथाकथित ट्रिप्स व्यापार प्रबंधन को लेकर थी जो बौद्धिक संपदा अधिकार से जुड़ा हुआ है। 53 सूत्री अंतिम घोषणापत्र के मुताबिक शिखर वार्ता में वैश्विक नेता 2030 तक टीबी महामारी को खत्म करने की प्रतिबद्धता जाहिर करेंगे और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सालाना 13 अरब डॉलर खर्च करेंगे।
इसके अलावा टीबी संबंधी शोध के वित्तपोषण के लिए विश्वभर में दो अरब डॉलर की अतिरिक्त राशि खर्च की जाएगी। वर्तमान में यह राशि 70 करोड़ डॉलर है। पिछले साल विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आगाह किया था कि क्षयरोग ने संक्रामक रोगों से होने वाली मौत के मामले में एड्स/ एचआईवी को पीछे छोड़ दिया है और विश्वभर में होने वाली मौतों के पीछे के कारणों में नौंवे स्थान पर है।