वॉशिंगटन: न्यूयॉर्क पहुंचने पर 2 इराकियों को हिरासत में लिए जाने के बाद उनके वकीलों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अमेरिकी सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। अमेरिकी सेना से रिश्ते होने के कारण उन्हें अमेरिका में प्रवेश के लिए वीजा मिला था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुकदमा ट्रंप के विवादास्पद आदेश को चुनौती दे सकता है। आदेश के जरिए ट्रंप ने अनिश्चितकाल के लिए सीरियाई शरणार्थियों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगा दी है और अन्य देशों के शरणार्थियों की प्रवाह को सीमित कर कर दिया है।
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ट्रंप के आदेश में इराकी नागरिकों के साथ-साथ 6 अन्य मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी गई है और पुन: शुरू किए जाने तक अमेरिकी शरणार्थी प्रवेश कार्यक्रम को 120 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है। कोर्ट में पेश दस्तावेज के मुताबिक, अमेरिका में प्रवेश के लिए दोनों इराकी नागरिकों को वैधानिक मंजूरी मिली थी, लेकिन ट्रंप के आदेश के आलोक में उन्हें हिरासत में लिया गया, जिसमें अनेक मुस्लिम बहुल देशों से यात्रा पर प्रतिबंध लगाया गया है। हिरासत में लिए गए इराकियों में एक हमीद खालिद दरवीश को शनिवार दोपहर बाद रिहा कर दिया गया। उन्होंने इराक युद्ध के दौरान अमेरिका के लिए दुभाषिए का काम किया था।
विरोध की एक और तस्वीर। (AP फोटो)
रिहा होने के तुरंत बाद एयरपोर्ट पर दरवीश ने कहा, ‘अमेरिका स्वतंत्रता की भूमि है। अमेरिका सबसे महान देश है।’ ट्रंप के बारे में पूछे जाने पर दरवीश ने कहा, ‘मैं उन्हें पसंद करता हूं, लेकिन मैं नहीं जानता।’ उन्होंने आगे कहा कि उन्हें शुक्रवार को उनके परिवार से अलग कर दिया गया था। बाद में कहा गया है कि दरवीश के पास विशेष आव्रजन वीजा है, जो उन्हें ट्रंप के शपथ ग्रहण के दिन 20 जनवरी को जारी किया गया था। साल 2003 से 2013 तक अमेरिकी सेना के लिए काम करने के कारण उन्हें वीजा दिया गया था। दूसरा इराकी नागरिक हैदर समीर अब्दुलकालेक अलशावी भी एक वादी हैं। वह शनिवार दोपहर तक जेएफके हवाईअड्डे पर हिरासत में ही थे।