वाशिंगटन: अमेरिका की एक संघीय अदालत ने भारतीय मूल के दो अमेरिकी नागरिकों पर भारतीय तकनीकी पेशेवरों के लिए एच-1बी वीजा हासिल करने के वास्ते फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करने के आरोप तय किए हैं। अगर जयवेल मुरूगन (46) और सैयद नवाज (40) दोषी पाये जाते हैं तो उन्हें 20 साल की जेल या 2,50,000 डॉलर का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। संघीय अभियोजक ने आरोप लगाया है कि फ्रेमोंट स्थित डायनासॉफ्ट सिनर्जी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुरूगन और नवाज ने भारतीय तकनीकी पेशेवरों के लिए एच-1बी वीजा हासिल करने के वास्ते फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।
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वे दोनों 2010 से 2016 तक ऐसी गतिविधियों में शामिल रहे। ये आरोप शुक्रवार को लगाए गए। कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक डायनासॉफ्ट सिनर्जी इंक कैलिफोर्निया में स्थित है और चेन्नई में भी इसका एक कार्यालय है।
3 अप्रैल से स्वीकार किए जाएंगे H-1B वीजा के लिए आवेदन
अमेरिका वित्त वर्ष 2017-18 के लिए एच-1बी कार्य वीजा के लिए आवेदन 3 अप्रैल से लेना शुरू करेगा। हालांकि, इस वीजा कार्यक्रम को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। भारतीय आईटी कंपनियों तथा पेशेवरों में यह वीजा काफी लोकप्रिय है। पिछले वर्षों की तुलना में इस बारे अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं (USCIS) ने यह नहीं कहा है कि वह एच-1बी वीजा आवेदनों को स्वीकार करना कब तक जारी रखेगा। आमतौर पर विभाग पहले पांच कारोबारी दिवस के दौरान आवेदन स्वीकार करता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान विभाग को संसद द्वारा तय किए गए 85,000 एच-1बी वीजा के लिए पर्याप्त आवेदन मिले हैं।
गौरतलब है कि डोनल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद एक सप्ताह के भीतर रिपब्लिकन सेनेटर चक ग्रैसले और सेनेट में अल्पमत पक्ष के सहायक नेता डिक डर्बन ने 'एच-1बी एवं एल-1 वीजा सुधार अधिनियम' पेश किया था ताकि अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता दी जाए और कुशल कामगारों के लिए वीजा कार्यक्रम में निष्पक्षता बहाल की जाए। ग्रैसले सेनेट की न्यायपालिका समिति के प्रमुख हैं।