वाशिंगटन: सीरिया में नागरिकों पर किए गए बर्बर रासायनिक हमले के जवाब में अमेरिका ने सीरिया के एयरबेस पर आज एक बड़ा सैन्य हमला बोला। रासायनिक हमले के पीछे कथित तौर पर युद्धरत राष्ट्रपति बशर अल असद के शासन का हाथ है। वहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सभी सभ्य देशों से अपील की कि वे युद्धप्रभावित देश में मचे रक्तपात को खत्म करने के लिए अमेरिका के साथ आएं।
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अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के आदेशों पर, अमेरिकी युद्धपोतों ने सीरिया की सरकार के एयरबेस पर 50-60 टोमाहॉक क्रूज मिसाइलें दागीं। यह वही एयरबेस है, जहां रासायनिक हमला करने वाले युद्धक विमान खड़े थे।
मार-ए-लागो रिजॉर्ट में ट्रंप ने कहा कि उन्होंने उस सीरियाई एयरबेस को निशाना बनाकर हमला करने के आदेश दिए थे, जहां से रासायनिक हमला बोला गया था। ट्रंप ने इसी आवास में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की।
सीरिया पर हमले का यह आदेश ट्रंप के रूख में नाटकीय बदलाव दिखाता है। चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वह असद के शासन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई में अमेरिका के हिस्सा लेने के खिलाफ हैं।
ये मिसाइलें अमेरिकी युद्धपोतों से तड़के तीन बजकर 45 मिनट पर दागी गईं। इनके जरिए एयरबेस की हवाई पट्टियों, हैंगरों, नियंत्रण टावर और युद्धक सामग्री वाले क्षेत्रों को निशाना बनाया गया।
एक सैन्य अधिकारी के हवाले से सीरियन टीवी ने कहा कि अमेरिकी कार्रवाई में साजो सामान संबंधी नुकसान हुआ है।
मासूम नागरिकों पर किए गए रासायनिक हमले को भयावह बताते हुए ट्रंप ने कहा कि राष्ट्रपति बशर अल-असद ने असहाय पुरूषों, महिलाओं और बच्चों की जान ली है।
उन्होंने कहा, कई लोगों के लिए यह धीमी और क्रूर मौत है। इस बर्बर हमले में प्यारे बच्चे भी निर्ममता से मारे गए। ईश्वर के किसी भी बच्चे को ऐसी भयावह स्थिति न झेलनी पड़े।